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    टोंगा (Tonga) में हुए ज्वालामुखी विस्फोट ने जापान से यूएसए तक बजा दी सुनामी (Tsunami) की घंटी

    हाल ही में शनिवार शाम को टोंगा (Tonga) में एक बड़े पैमाने पर पानी के नीचे ज्वालामुखी विस्फोट हुआ । नतीजतन, जिसकी वजह से एक सुनामी (Tsunami)  जैसा मंज़र हो गया हो जिसने जापान से संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रशांत तटरेखाओं को बाढ़ के पानी में डुबो दिया। हंगा टोंगा-हंगा हापाई ज्वालामुखी के लंबे समय तक चलने वाले ज्वालामुखी विस्फोट की कई छवियाँ उपग्रह द्वारा कैप्चर की गयी हैं।जापान,ऑस्ट्रेलिया और नई ज़ीलैण्ड ने सुनामी (Tsunami) की चेतावनी जारी की है।

    टोंगा (Tonga) एक द्वीपसमूह है जो समोआ के दक्षिण में स्थित है। दक्षिण प्रशांत महासागर में स्थित, टोंगा (Tonga) ब्रिस्बेन, ऑस्ट्रेलिया के पूर्व से सिर्फ 2000 मील दूर है जिसमें 150 निर्वासित द्वीप शामिल हैं। दृश्यों में देखा जा सकता है कि विशाल लहरें (Tsunamiwaves) तटीय घरों को क्षति पहुंचा रही हैं।

    पिछले कुछ दशकों में ज्वालामुखी नियमित रूप से फटा है। 2009, 2014, 2015 में विस्फोट कम स्तर पर था, मैग्मा और भाप के गर्म जेट लहरों के माध्यम से फट गए। ये विस्फोट जनवरी’22 के विस्फोट की तुलना में काफी छोटे थे। ऑकलैंड विश्वविद्यालय, वेलिंगटन में पृथ्वी विज्ञान के प्रोफेसर शेन क्रोनिन का कहना है कि इस तरह के बड़े पैमाने पर विस्फोट 1000 वर्षों में केवल एक बार होता है।

    शेन क्रोनिन का कहना है,”हमें पुराने द्वीपों पर जमा VOLCANIC DEPOSITS से पिछले दो बड़े विस्फोटों के प्रमाण मिले है। हमने इन रासायनिक रूप से 65 किमी दूर टोंगटापु के सबसे बड़े बसे हुए द्वीप पर ज्वालामुखीय राख जमा से मिलान किया और फिर रेडियोकार्बन तिथियों का उपयोग यह दिखाने के लिए किया कि बड़े काल्डेरा विस्फोट लगभग 1000 वर्षों में होते हैं, जिनमें से अंतिम AD 1100 में हुआ था । इस ज्ञान के हिसाब से, 15 जनवरी को विस्फोट  निर्धारित समय पर लगता है।”

    क्रोनिन ने आगे बताया,”हम अभी भी इस प्रमुख विस्फोट अनुक्रम के बीच में हैं जिसके कई पहलू अभी भी आंशिक रूप से अस्पष्ट हैं, क्योंकि द्वीप वर्तमान में राख के बादलों से ढका हुआ है। 20 दिसंबर 2021 और 13 जनवरी 2022 को पहले के दो विस्फोट मध्यम आकार के थे। उन्होंने 17 किमी की ऊंचाई तक के बादलों का निर्माण किया और 2014/15 के संयुक्त द्वीप में नई भूमि जोड़ी। नवीनतम विस्फोट ने विनाश के पैमाने को बढ़ा दिया है। राख का ढेर पहले से ही लगभग 20 किमी ऊंचा है। सबसे उल्लेखनीय रूप से, यह ज्वालामुखी से लगभग 130 किमी की दूरी पर लगभग केंद्रित रूप से फैल गया है ।”

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