हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट के अनुसार एक ओर जहाँ देश के कुल करदाताओं की संख्या में भरी इजाफा हुआ है, वहीं दूसरी ओर देश को व्यक्तिगत करदाताओं से मिलने वाले आयकर में 34 प्रतिशत की गिरावट दर्ज़ की गयी है।
ये आंकड़ें इसी वित्तीय वर्ष में अप्रैल से अगस्त के बीच के हैं। इस दौरान व्यक्तिगत करदाताओं की संख्या में 70 प्रतिशत की सालाना दर से इजाफा हुआ है।
फाइनेंसियल एक्सप्रेस के मुताबिक अब भारत में व्यक्तिगत कर दाताओं की संख्या बढ़कर 5.4 करोड़ हो गयी है, लेकिन इस दौरान देश को कर के रूप में प्राप्त होने वाले राजस्व में 32 प्रतिशत की कमी दर्ज़ की गयी है। इसके तहत सरकार को प्रति करदातासे औसत 27,083 रुपये के कर की प्राप्ति हुई है।
देश में नोटबंदी व जीएसटी के बाद से कर दाताओं की संख्या में गज़ब का इजाफा देखने को मिला है, लेकिन इन्हीं कर दाताओं से द्वारा प्राप्त होने वाले कर में भी अब बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है।
आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2016 में जहाँ कर दाताओं की संख्या 5.9 करोड़ थी, वहीं वित्तीय वर्ष 2017 में कर दाताओं की संख्या बढ़कर 7.8 करोड़ पहुँच गयी, इसी के साथ वित्तीय वर्ष 2018 में कर दाताओं की संख्या करीब 10 करोड़ तक पहुँच चुकी है।
एक ओर जहाँ कर दाताओं की संख्या में साल दर साल ईज़ाफा हो रहा है, वहीं दूसरी ओर सरकार को कर के रूप में प्राप्त होने वाले राजस्व में लगातार कमी आ रही है। आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2016 में कर प्राप्ति की दर 8.5 प्रतिशत से बढ़कर 29 प्रतिशत तक पहुँच गयी थी, लेकिन वित्तीय वर्ष 2018 में इस दर में 19 प्रतिशत की गिरावट दर्ज़ की गयी है।
हालाँकि केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि “सरकार इस बात की जांच करेगी कि नए करदाता अपना कर क्यों नहीं भर रहे हैं।” विशेषज्ञों के अनुसार व्यतिगत कर के कलेक्शन के लिए अप्रैल से जुलाई की तिमाही अधिक महत्वपूर्ण होती है, उसके बाद बचे हुए साल में कर जमा करने की दर में गिरावट बनी ही रहती है।
लाइवमिंट के मुताबिक, भारत सरकार नें साल 2018-19 के लिए प्रत्यक्ष कर के लिए 11.5 ट्रिलियन रुपए का टार्गेट रखा है। आपको बता दें कि पिछले साल सरकार नें 10 ट्रिलियन रुपए का प्रत्यक्ष कर प्राप्त किया था, ऐसे में सरकार इस साल लगभग 15 फीसदी अधिक टैक्स वसूल सकती है।