द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारती एयरटेल ने रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) के चयनित स्पेक्ट्रम और कुछ उपकरण खरीदने में अपनी रूचि व्यक्त की है। वर्तमान में लैंडर्स अपने 45,000 करोड़ रुपये कर्ज के कुछ हिस्सों को चुकाने के लिए आरकॉम की संपत्ति बेचने की तैयारी कर रहा है।
जब द इकोनॉमिक टाइम्स ने एयरटेल से आरकॉम की परिसंपत्तियों को खरीदने के बारे में पूछा तो भारती एयरटेल के एक प्रवक्ता ने कहा कि, हमने अभी तक केवल आरकॉम स्पेक्ट्रम और कुछ उपकरणों को खरीदने के लिए ही अपनी इच्छा जताई है।
रिपोर्ट के अनुसार, एयरटेल 850 मेगाहर्ट्ज़ बैंड स्पेक्ट्रम खरीदने के लिए रिलायंस जियो को कड़ी चुनौती दे सकता है क्योंकि यह 4जी सेवाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। अन्य टेलिकॉम कंपनियां जैसे इंडस, भारती इन्फ्राटेल और ब्रुकफील्ड भी आरकॉम टॉवर खरीदने में अपनी दिलचस्पी ले रही हैं।
रिलायंस जियो और वोडाफोन-आइडिया सेल्युलर आरकॉम स्पेक्ट्रम को खरीदने के लिए बड़ी बोली लगाकर बाजार को प्रतिस्पर्धी बना सकती हैं। सुनील मित्तल की अगुवाई वाली कंपनी भारती एयरटेल टेलिकॉम सेक्टर और स्पेक्ट्रम की ऐसी संपत्तियां खरीद रही है जो घाटे में चल रही हैं।
टेलिकॉम कंपनियों में वर्चस्व की लड़ाई
पिछले साल देश के सबसे अमीर आदमी मुकेश अंबानी ने टेलिकॉम सेक्टर में जैसे ही कदम रखा अपना प्रतिद्वंदियों में खलबली मचा दी। रिलायंस जियो ने फ्री वॉयस और सस्ते डेटा के जरिए टेलिकॉम कंज्यूमर्स को बड़ी राहत दी। जियो के इस कदम ने टेलिकॉम आॅपरेटर्स की संख्या में ना केवल कम कर दी बल्कि उन्हें किसी दूसरी कंपनी में विलय करने के लिए बाध्य कर दिया।
यहां तक कुछ कंपनियों ने टेलिकॉम सेक्टर से खुद को अलग ही कर लिया। कुछ सालों पहले जहां इस सेक्टर में दर्जनों कंपनियां शामिल थी, अब इनकी संख्या मात्र चार रह गई है। इस वर्ष कुछ छोटी टेलिकॉम कंपनियां रिलायंस जियो के सामने संघर्ष करती नजर आईं, जैसे एयरसेल लिमिटेड, वोडाफोन ग्रुप, आइडिया सेल्यूलर ने खुद को अन्य टेलिकॉम आपरेटर्स के साथ मर्ज कर लिया। जबकि भारती एयरटेल टेलिकॉम सेक्टर में रिलायंस जियो का अकेला प्रतिद्वंदी बना हुआ है।