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    एच 1-बी वीजा

    अमेरिका में बहुचर्चित नागरिकता वीजा ‘एच-1बी’ को लेकर अब एक नया विवाद सामने आया है। अमेरिका में करीब 1000 छोटी आईटी कंपनियों के एक समूह ने देश में एच-1बी वीजा को जारी करने वाली अमेरिकी अप्रवासन एजेंसी पर मुकदमा दायर कर दिया है।

    समूह द्वारा मुकदमा दाखिल करने का कारण यह है कि एजेंसी विदेशी कामगार नागरिकों को दिये जाने वाले अपने एच-1बी वीजा को 3 वर्ष से भी कम अवधि के लिए जारी कर रही है।

    बहु-प्रचलित एच-1बी वीजा  अमेरिका द्वारा उन विदेशी नागरिकों को दिया जाता है जो अमेरिका आकर किसी तरह की नौकरी करना चाहते हैं। शर्त के अनुरूप यह वीजा सिर्फ उन ही लोगों को मिलता है जो लोग तकनीकी रूप से या फिर किसी अन्य रूप से कार्य कुशल होते हैं।

    इस लोकप्रिय वीज़ा के चलते ही अमेरिका की तमाम तकनीकी कंपनियां भारत और चीन जैसे देशों से अपनी कंपनी के लिए कर्मचारियों का चुनाव करती हैं। यह वीज़ा आमतौर पर आवेदक को 3 से पाँच साल की अवधि लिए जारी किया जाता है। जिसके बाद आवेदक को पुनः आवेदन समेत अन्य प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।

    इसी के चलते कंपनियों के इस समूह ने मुकदमा दर्ज कराते हुए कहा है कि संबन्धित एजेंसी इसके लिए तीन साल से भी कम अवधि का वीजा जारी कर रहीं है, जिसके चलते दूसरे देशों से आकर अमेरिका में काम करने वाले कर्मचारियों को परेशानी का सामना उठाना पड़ रहा है।

    समूह द्वारा दाखिल की गयी याचिका सिर्फ एक महीने के लिए ही वैध है, ऐसे में अगर यह याचिका 1 महीने के अंदर स्वीकार नहीं की जाती है, तो इसे रद्द मान लिया जाएगा।

    ज्ञात हो कि आईटी कंपनियों के द्वारा अमेरिकी एजेंसी पर एच-1बी वीजा को लेकर मुकदमा ठोकने का यह दूसरा मामला है। याचिका में स्पष्ट तौर पर बताया गया है कि अमेरिकी कॉंग्रेस ने खुद ही एच-1बी वीजा की अवधि को कम से कम 3 साल करने का निर्णय लिया था।

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