अनुभवी भारतीय क्रिकेटर वसीम जाफर पिछले कुछ सालो से घरेलू क्रिकेट में सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज रहे है। सीजन दर सीजन उन्होने रणजी ट्रॉफी में लगातार रन बनाए है, इतने प्रभावशाली होने के बावजूद भी वह अंतरारष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी जगह नही बना पाए। जाफर ने अविश्वसनीय दर से रणजी ट्रॉफी में रनों का ढेर लगाया है, लेकिन केवल दो दशकों में अपने करियर में भारत के लिए 31 टेस्ट मैच और दो वनडे खेलने में सफल रहे हैं।
वह गेंद को मजबूत रूप से तो हिट नही करते लेकिन जाफर बल्लेबाजी के प्रति अधिक पारंपरिक दृष्टिकोण का पर्याय है।फौलादी संकल्प और बेमिसाल स्वभाव के साथ, उन्होने अब तक फर्स्ट-क्लास करियर में 253 मैच खेले है और 51.19 की औसत के साथ शानदार 19417 रन बनाए है। उनके करियर में इससे भी अच्छी बात यह है कि, उन्होने अब तक दस रणजी ट्रॉफी फाइनल खेले है और वह सब में विजयी रहे है। 2 रणजी ट्रॉफी खिताब विदर्भ की तरफ से तो वही 8 रणजी ट्रॉफी खिताब उन्हें मुंबई से खेलते हुए हाथ लगे है।
पिछले एक दशक में भारतीय क्रिकेट को विकसित होते हुए देखकर, जाफर, जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में पर्याप्त मौके नहीं मिले, का मानना है कि चयन की गतिशीलता में बदलाव आया है और आईपीएल में प्रदर्शन रणजी ट्रॉफी और दलीप ट्रॉफी जैसे घरेलू टूर्नामेंटों में रन बनाने से अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। जाफर ने यह भी कहा कि अगर कोई युवा आईपीएल में नहीं खेलता है, तो उसे राष्ट्रीय टीम में मौका नहीं दिया जाएगा।
रेडिफ्फ.कोम के हवाले से जाफर ने कहा, ” यह ऐसा है कि सिस्टम अब कुछ इस प्रकार काम करता है। इन दिनो, मुझे लगता है खिलाड़ियो के पास टी-20 कौशलता होनी चाहिए वरना उसके लिए जिना मुश्किल हो जाएगा।”
आगे उन्होने कहा, ” रणजी ट्रॉफी, दुलीप ट्रॉफी और ईरानी ट्रॉफी में आप जितने मर्जी रन बनालो इससे कुछ फर्क नही पढ़ता, अगर आपके पास टी-20 बल्लेबाजी और गेंदबाजी की कौशलता नही है तो आप ज्यादा आगे नही जा सकते। जाहिर है, वे उस पर गौर करते हैं जो टी 20 क्रिकेट के अनुरूप अपने खेल को प्राथमिकता देते हैं जो मुझे नहीं लगता कि उनकी गलती है। इस प्रकार यह प्रणाली अब काम करती है और वे ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं।”