चुनाव से पहले कार्यकर्ताओं का अपनी पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी में शामिल हो जाना कोई चौंकने की बात नहीं है। यह हमेशा से होता आया है कि नेता परिस्थिति देख अपना पाला बदल लेते हैं। हाल में ही आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री व तेलगू देशम पार्टी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू की पार्टी से भी कुछ लोगों ने हाथ पीछे खींच लिए हैं।
गुरुवार को अनकापल्ली के लोकसभा विधायक अविंत श्रीनिवास ने टीडीपी से इस्तीफा दे दिया है और राज्य की विपक्षी पार्टी वाईएसआर कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। कुछ दिनों पहले ही चीराला के विधायक आमंची कृष्णामोहन ने नायडू की पार्टी से इस्तीफा दे दिया था।
हालांकि यह अटकलें पहले ही लगाई जा रही थी कि चीराला के विधायक जगन मोहन रेड्डी के साथ आने वाले हैं। उन्हें समझाने के लिए मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने उनसे व्यक्तिगत रुप से मुलाकात भी की थी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
आमंची ने आरोप लगाया है कि टीडीपी में सारे पद जाति व पक्षपात के आधार पर दिए जाते हैं, आंध्रप्रदेश में सारे पद अभी नायडू के सहयोगियों के पास है। इसलिए वे पार्टी छोड़ रहे हैं।
हाल में ही वाईएसआऱ में शामिल हुए श्रीनिवाास ने तंज कसा है कि टीडीपी वंशवाद और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है।
आगे और नेता टीडीपी का साथ छोड़ेंगे, इस बात की अटकलें लगाई जा रही है। इन दिनों पार्टी के वरिष्ठ नेता और उद्दोगपित दासरी जय रमेश की भी रेड्डी से मिलने की खबरें आई हैं।
विशाखापट्टनम के गुप्त सूत्रों के मुताबित रमेश वाईआरसीपी के बेहद करीबी बने हुए हैं। इसके अलावा अन्य पूर्व सांसद व विधायक भी इन दिनों गोदावरी जिले के आसपास वाईएसआर के संपर्क में हैं।
टीडीपी के प्रवक्ता लंका दिनकर ने न्यूज 18 को बताया कि ‘जगन अपने कालेधन का इस्तेमाल कर हमारे पार्टी के लोगों को खरीद रहा है। कार्यकर्ता तो आते-जाते रहते हैं लेकिन सच्चे लोग नहीं बिकेंगे। नेता चंद्रबाबू नायडू पर उन्हें पूरा भरोसा है, वे उनके साथ हैं।”
राजनीति विशेषज्ञों की मानें तो टीडीपी के कार्यकर्ताओं का आत्मविश्वास डगमगा गया है। उन्हें कहीं न कहीं आगामी चुनाव में अपने जीतने के आसार कम नजर आ रहें हैं। इसलिए वे वाईएसआरसीपी में जाकर मिल जा रहे हैं।