आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू ने सोमवार को एक आपातकाल बैठक बुलाई। आंध्र प्रदेश को 2018-19 के केंद्रीय बजट में कोई विशेष छूट या फंड नही दिए जाने को लेकर यह बिठक बुलाई गई थी। 2019 लोकसभा चुनावों से पहले, यह मोदी सरकार का आखिरी संपूर्ण बजट था।
तेलगू देशम पार्टी के चौधरी ने कहा कि, “आपातकाल मीटिंग के दौरान, केंद्रीय बजट और उसमें आंध्र प्रदेश को कोई विशेष छूट या आवंटन नही दिए जाने पर चर्चा हुई। हम इस मुद्दे पर केंद्र सरकार पर लगातार दबाव बना रहे हैं। अगर आवश्यकता होती है तो हम इस बात को संसद में भी उठाऐंगे।”
संसद से बाहर निकल कर पत्रकारों से बात करते हुए टीडीपी के सांसद, टी.जी वेंकटेश ने कहा कि,” हम उनके(बीजेपी) खिलाफ जंग का ऐलान कर रहे हैं। अब हमारे पास सिर्फ तीन ही रास्ते हैं। पहला की हम कोशिश करेंगे की यह गठबंधन बरकार रहे। दूसरा की हमारे सांसद इस्तीफा दे दे। तीसरा की हम यह गठबंधन तोड़ दे।”
आंध्र-केंद्रित आयामों का बजट से नदारद रहना टीडीपी और बीजेपी के गठबंधन के लिए खतरा साबित हो रहा है। नायडू इस बात से नाराज है कि आंध्र प्रदेश को लंबे समय से बजट में कोई लाभ नही मिला, जैसा की बीजेपी केंद्रीत सरकार ने वादा किया था।
आंध्र प्रदेश इस समय आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। उसकी यह स्थिति तब से ही है, जबसे उसका विभाजन हुआ है। गठबंधन में उठी रार का फायदा विपक्ष उठाने की कोशिश कर रहा है।
वाईएसआरसीपी के अध्यक्ष जगन मोहन रेड्डी के अनुसार,” बजट का अंतिम प्रारूप केंद्रीय कैबिनेट द्वारा मंजूर किया जाता है, जिसमें दो टीडीपी नेता शामिल है। चंद्र बाबू नायडू की चालाकी काम नही कर सकती। केंद्रीय बजट एक सामूहिक फैसला है और टीडीपी सारा आरोप केंद्र पर नही डाल सकती।”
आगामी चुनावों के मद्देनजर,चंद्र बाबू नायडू पर अपने वादे और विकास का ब्यौरा देने का दबाव बढ़ गया है। विकास और विस्तार का हवाला देकर ही टीडीपी-बीजेपी गठबंधन राज्य में आई थी।