राजनीतिक पार्टियां कितना भी यह दावा क्यों न कर ले कि सत्ता में आने का उनका एकमात्र उद्देश्य लोगों की सेवा और समाज में विकास करने का है लेकिन टिकट आवंटन के वक्त उनकी पोल खुल ही जाती है।
टिकट आवंटन के वक्त जो बवाल पार्टियों के अंदर होता है उससे यह पता लग जाता है कि पार्टी चाहे कोई भी हो, नारे चाहे जो भी हो, वादे चाहे कितने भी मनभावन हो, पूरी राजनीती का मूलमंत्र सत्ता की चाह है और इसी चाह के इर्द गिर्द राजनेताओं की सारी अभिलाषाए और आकांक्षाए घूमती है। इस समय गुजरात में वक्त चल रहा है विधानसभा चुनाव के टिकट आवंटन का। सही समय और सही मौका देखकर पार्टियां लोगों को टिकट दे रही है।
टिकट आवंटन के समय राजनीति सिर्फ बाहर की वस्तु नहीं अपितु पार्टियों की अंदर की वस्तु भी हो जाती है। जितनी राजनीति पार्टी के बाहर मंच पर होती है उतनी ही राजनीति पार्टी के अंदर टिकट आवंटन को लेकर भी होती है। बाहर की राजनीति पार्टी के अंदर की राजनीति से प्रभावित होती है, यहीं वजह है कि राजनीतिक पार्टियां बाहर की राजनीति से ज्यादा परेशान पार्टी की अंदर की राजनीति से होती है।
गुजरात विधानसभा चुनाव में हर पार्टी का हर्ष एक जैसा है, टिकट न मिलने के कारण उम्मीदवारों की बगावत से सभी पार्टियां जूझ रही है। कल तक पार्टी को अपना घर बताने वाले उम्मीदवारों ने आज चुनावी टिकट न मिलने से घर का त्याग कर दिया है। इस मामले में पार्टियां भी पीछे नहीं है। कल तक जो पार्टियां अपने राजनेताओं को घर का अभिन्न सदस्य बता रहीं थी उन्होने टिकट आवंटन के समय राजनेताओं को ऐसे लिस्ट से गायब किया है जैसे जादू के खेल में जादूगर रुपयों को गायब कर देता है।
गुजरात चुनाव में टिकटों के बंटवारे को लेकर बीजेपी के बाद अब युद्ध कांग्रेस में भी शुरू हो गया है। पार्टी की ओर से रविवार को ही 76 उम्मीदवारों के साथ तीसरी लिस्ट जारी होने के बाद कांग्रेस में माहौल गरमा गया है और कार्यकर्ताओं ने हंगामा शुरू कर दिया है। विरोध की बड़ी वजह अहमदाबाद की अमरायवाड़ी सीट से कांग्रेस कार्यकर्ता अरविंद सिंह चौहान को टिकट जाना भी है। वैसे यह उम्मीद पहले से ही की जा रहीं थी, कि तमाम राजनीतिक पार्टियों की तरह ही कांग्रेस में भी बवाल टिकट आवंटन के वक्त देखने को मिलेगा लेकिन मामला इतना गंभीर हो जाएगा शायद इसका अंदाजा खुद कांग्रेस को भी नहीं रहा होगा।
थोड़ी बहुत विरोध को तो पार्टी ने भांप लिया होगा और इसलिए ही पार्टी ने उम्मीदवारों के नाम देर रात को उजागर किए थे, शायद पार्टी को उम्मीद रहीं होगी की सुबह तक हालातों को ठीक करने के कुछ उपाय कर लिए जाएंगे। लेकिन सत्ता की आस में बैठे राजनेताओं ने दिन और रात नहीं देखा। सत्ता की कुर्सी, रात के घने अंधरे में भी राजनेताओं को टिकट न मिलने से जाती हुई दिख गयी। इसलिए विरोधस्वरूप उन्होनें गांधीनगर स्थित पार्टी दफ्तर के बाहर पुतला जलाना और तोड़ फोड़ करना शुरू कर दिया।
इस चुनाव में पार्टी को आंतरिक कलह भारी पड़ सकती हैं, यह बात कांग्रेस जानती हैं और इसलिए पार्टी ने विरोध को बढ़ता हुआ देख 50 उम्मीदवारों को नामंकन करने की अनुमति दे दी है। आज गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए नामांकन की आखिरी तारीख है।