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    झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिलने के बाद सरकार गठन की तैयारी शुरू हो गई है। कांग्रेस और झामुमो अब जहां मंत्री पद की सीटों पर तालमेल बैठाने पर लगे हैं, वहीं विधानसभा अध्यक्ष को लेकर भी मंथन जारी है।

    सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस, झामुमो और राजद गठबंधन की सरकार होगी और इनके ही मंत्री होंगे जबकि एक संभावना है कि मंत्रिमंडल में झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) को भी शामिल किया जा सकता है। ऐसे में हो सकता है कि झाविमो को एक मंत्री पद मिल जाए।

    गौरतलब है कि झाविमो ने भी बिना शर्त गठबंधन की सरकार का समर्थन कर दिया है। हालांकि सूत्रों का यह भी दावा है कि गठबंधन के पास खुद का बहुमत है, इस कारण झाविमो को किसी एक विधायक को बोर्ड या निगम का अध्यक्ष बना दिया जाए।

    झारखंड में कुल 12 विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि झामुमो की ओर से जहां छह मंत्री होंगे वहीं कांग्रेस को चार से पांच मंत्री और एक विधानसभा अध्यक्ष का पद मिल सकता है। झामुमो की ओर से अनुभवी स्टीफन मरांडी, चंपई सोरेन और बैद्यनाथ राम का नाम तय माना जा रहा है।

    स्टीफन और चंपई जहां पुराने नेता हैं वहीं बैद्यनाथ एक मात्र अनुसूचित जाति (हरिजन) कोटे से आते है। ये तीनों पहले झारखंड के मंत्री रह भी चुके हैं। बैद्यनाथ स्वास्थ्य, शिक्षा, खेल, मद्य एवं निषेध मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। पलामू प्रमंडल में इनकी अच्छी पकड है।

    दूसरी ओर मंत्री की रेस में झामुमो के हाजी हुसैन अंसारी, जोबा मांझी, दीपक बिरुआ, सीता सोरेन, और मिथिलेश ठाकुर भी शामिल हैं। इसमें से महिला के नाम पर जहां जोबा रेस में आगे चल रही हैं वहीं अल्पसंख्यक में हाजी हुसैन अंसारी आगे माने जा रहे हैं। मिथिलेश को संगठन में रहने का लाभ मिल सकता है।

    इधर, कांग्रेस की ओर देखा जाए तो रामेश्वर उरांव का नाम विधानसभा अध्यक्ष बनने की रेस में हैं। ऐसे में अगर वे विधानसभा अध्यक्ष के रूप में हामी भर देते हैं तो अनुभवी विधायकों और मंत्री रह चुके लोगों में आलमगीर आलम, राजेंद्र सिंह, बन्ना गुप्ता, दीपिका सिंह पांडेय सहित कई के नाम पहली पंक्ति में लिए जा रहे हैं। वैसे, आलमगीर आलम और रामेश्वर उरांव में कोई भी व्यक्ति अध्यक्ष बन सकता है। सूत्रों का दावा है कि रामेश्वर के इन पदों की जिम्मेदारी मिलने के बाद उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ सकता है। वैसे आलमगीर आलम को पार्टी विधायक दल का नेता चुने गए हैं।

    कहा जा रहा है कि कांग्रेस में मंत्री के नाम दिल्ली से ही तय होंगे। कांग्रेस अब तक के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर भले ही आलाकमान के सामने दुविधा की स्थिति पेश कर रहा हो लेकिन पहली बार बने विधायकों को देख लें तो मंत्री चुनने में पार्टी के सामने कहीं परेशानी ही नहीं है। पार्टी के 16 विधायकों में से आठ तो पहली बार विधानसभा पहुंचे हैं और इनमें से भी कई के लिए यह पहला चुनाव भी था। ऐसी स्थिति में विधायक दबाव बनाने की परिस्थिति में नहीं हैं।

    झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन 29 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। समारोह मोरहाबादी मैदान में होगा। इस मौके पर कई दिग्गज राजनेताओं के मौजूद रहने की संभावना है। सूत्रों का दावा है कि राजद के एकमात्र विधायक जीत कर आए हैं, हो सकता है कि उन्हें मंत्री बनाया जाए। वैसे, झामुमो के एक नेता का दावा है कि 29 दिसंबर को सांकेतिक शपथ ग्रहण होगा, जिसमें मुख्यमंत्री और एक-दो मंत्री ही शपथ लेंगे। इसके बाद मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा।

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