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    झारखंड में शांतिपूर्ण चुनाव कराना प्रारंभ से ही चुनाव आयोग और प्रशासन के लिए चुनौती माना जाता रहा है। चुनाव के पूर्व शुक्रवार रात लातेहार के चंदवा में नक्सलियों के हमले में चार पुलिसकर्मियों के शहीद होने की घटना से पुलिस की तैयारी पर भी प्रश्न उठने लगे हैं। हालांकि पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि शांतिपूर्ण चुनाव के लिए पूरी तैयारी है।

    माना जाता है कि शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न कराने की रणनीति के तहत ही झारखंड की 81 विधानसभा सीटों के लिए पांच चरणों में मतदान का कार्यक्रम रखा गया है। इस विधानसभा चुनाव में इस चुनौती से निपटने के लिए पुलिस और चुनाव आयोग पूरी तरह जुटे नजर आ रहे हैं।

    आम तौर पर माना जाता है कि झारखंड के अधिकांश जिलों में कमोबेश किसी न किसी नक्सली संगठन का प्रभाव है। पहले चरण में 30 नवंबर को जिन छह जिलों के 13 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होना है, वे सर्वाधिक नक्सल प्रभावित हैं। ऐसे में सुरक्षाबलों के लिए प्रथम चरण का चुनाव सुरक्षा के लिहाज से सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है। प्रथम चरण में लातेहार, चतरा, गढ़वा, लोहरदगा, गुमला और पलामू जिलों में मतदान होना है।

    ऐसा नहीं कि नक्सलियों को लेकर पुलिस प्रशासन और चुनाव आयोग सचेत नहीं है। चुनाव बहिष्कार के नारे को सफल करने के लिए नक्सली संगठन किसी न किसी रूप से चुनाव को बाधित करते रहे हैं, ऐसे में नक्सली संगठनों की सक्रियता भी चुनाव के दौरान बढ़ जाती है।

    केंद्रीय चुनाव आयोग की टीम भी झारखंड का दौरा कर सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर सभी तैयारियों की समीक्षा कर चुकी है। चुनाव कराने और विभिन्न क्षेत्रों में मतदाताओं में विश्वास जगाने को लेकर अलग-अलग सुरक्षा बल मुहैया भी कराए गए हैं।

    राज्य पुलिस मुख्यालय के एक अधिकारी का कहना है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में चुनाव कराने के लिए प्रशासनिक स्तर पर सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। उन्होंने कहा कि माहौल बिगड़ने की आंशका वाले क्षेत्रों में अभी से ही कार्रवाई प्रारंभ कर दी गई है।

    चुनाव आयोग ने भी स्वीकर किया है कि झारखंड के मात्र 81 विधानसभा सीटों के लिए पांच चरणों में मतदान कराए जाने का निर्णय सुरक्षा के दृष्टि से लिया गया है। माना जाता है कि आयोग की सोच सभी इलाकों में सुरक्षा एजेंसियों की व्यापक तैनाती को लेकर हो सकती है।

    झारखंड में प्रतिबंधित नक्सली संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के अलावा भी कई नक्सली संगठन के हथियारबंद दस्ते गठित हैं, जो चुनाव की बहिष्कार की घोषणा करते रहे हैं।

    आंकड़ों पर गौर करें तो झारखंड बनने के बाद हुए तीन विधानसभा चुनावों में नक्सली संगठन छोटी-बड़ी वारदातों को अंजाम देकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहे हैं। झारखंड में पहली बार 2005 में हुए चुनाव के दौरान राज्य के विभिन्न थाना क्षेत्रों में 19 नक्सली घटनाएं दर्ज की गई थीं, जबकि 2009 के चुनाव में इनकी संख्या दो दर्जन से अधिक बताई जा रही है। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में नक्सली वारदात की 15 घटनाएं सामने आई थीं।

    झारखंड के पुलिस महानिदेशक के. एन. चौबे ने शनिवार को कहा कि लातेहार की घटना का चुनाव पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा, और पुलिस शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए पूरी तरह तैयार है।

    उन्होंने कहा, “पहले चरण के मतदान में जितने भी कलस्टर बनाए गए हैं, वहां सुरक्षाबलों की तैनाती प्रारंभ हो गई है।”

    उन्होंने दावा किया कि अब नक्सली संगठन बैकफुट पर हैं, और अपनी पहचान बनाए रखने के लिए वे एक-दो घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी हो, वह ज्यादा दिन तक नहीं बच सकता है। उन्होंने कहा कि चुनाव शांतिपूर्ण हो, इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है।

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