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    झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले के गुदड़ी प्रखंड में सात आदिवासियों की हत्या के कारणों की जांच के लिए बनाई गई भाजपा की समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। सात सदस्यों की समिति ने वारदात की जांच करने के बाद बुधवार को अपनी रिपोर्ट भाजपा अध्यक्ष जे. पी. नड्डा को सौंपी। समिति गुरुवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को भी रिपोर्ट सौंपेगी। गृहमंत्री को रिपोर्ट सौंपने के बाद इसे सार्वजनिक किया जाएगा। समिति के सदस्य 30 जनवरी को राष्ट्रपति से भी मिलेंगे।

    जांच समिति के सदस्य समीर उरांव ने कहा कि घटना स्थल पर समिति के सदस्यों को जाने से रोका गया। झारखंड सरकार पर आरोप लगाते हुए उरांव ने कहा कि वहां अराजकता की स्थिति है, तानाशाही है और अराजक तत्वों का बोलबाला है।

    उरांव के मुताबिक, मुख्यमंत्री कहते हैं कि ‘मरने वाला और मारने वाला दोनों हमारे हैं’। उरांव ने कहा कि इसीलिए ईमानदारी से जांच नहीं हो रही है। उन्होंने कहा, “एसआईटी बनाकर लीपापोती की जा रही है। अभी तक पीड़ितों को कोई आर्थिक मदद तक नहीं दी गई है। इस हत्याकांड के पीछे कोई गंभीर साजिश है।”

    ध्यान रहे कि भाजपा अध्यक्ष नड्डा ने 19 जनवरी को हत्या की जांच के लिए एक समिति बनाई थी, जिसे हत्या स्थल का दौरा कर एक सप्ताह के अंदर इस वीभत्स घटना पर रिपोर्ट देने को कहा गया था। समिति में पार्टी के पांच आदिवासी सांसद शामिल हैं।

    समिति के सदस्यों में जसवंत सिंह भाभोर, समीर उरांव, भारती पवार, गोमती साईं और जॉन बारला शामिल हैं, जो अलग-अलग राज्यों के आदिवासी सांसद हैं। इसके अलावा झारखंड के एक आदिवासी नेता और पूर्व मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा भी समिति में शामिल रहे।

    गौरतलब है कि पश्चिमी सिंहभूम जिले में नक्सल प्रभावित गुदड़ी प्रखंड के बुरुगुलीकेरा गांव में 19 जनवरी को पत्थलगड़ी समर्थकों ने पत्थलगड़ी का विरोध करने वाले एक पंचायत प्रतिनिधि समेत सात ग्रामीणों की लाठी, डंडों और कुल्हाड़ी से हमला कर नृशंस हत्या कर दी थी।

    पत्थलगड़ी आंदोलन के तहत ग्रामसभा की स्वायत्तता की मांग की जा रही है। ये लोग चाहते हैं कि आदिवासी लोगों के क्षेत्र में कोई विधि-शासन व्यवस्था लागू न हो। पत्थलगड़ी आंदोलनकारियों ने जंगलों और नदियों पर सरकार के अधिकार को खारिज कर दिया है।

    इस आंदोलन के तहत समर्थक किसी गांव के बाहर एक पत्थर गाड़ देते हैं और उस गांव को स्वायत्त क्षेत्र घोषित कर देते हैं और इसके बाद वे वहां बाहरी लोगों की आवाजाही रोक देते हैं। पूर्व रघुवर सरकार ने राज्य में पत्थलगड़ी समर्थकों के खिलाफ 2018 में सख्त कार्रवाई की थी। उस समय इसके नेताओं की बड़े पैमाने पर धरपकड़ कर उनके खिलाफ सरकारी कामकाज में बाधा डालने और संविधान की अवहेलना करने के आरोप में देशद्रोह के भी मुकदमे दर्ज किए गए थे।

    राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार बनने के बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक में पत्थलगड़ी समर्थकों पर दर्ज सभी मुकदमे वापस लेने का फैसला लिया गया था।

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