सरकारी काम को किस तरह से लटकाया जाता है इसका उदाहरण रानी झांसी फ्लाईओवर है। इस फ्लाईओवर की हर बात निराली है। इस पूल पर विवाद इसलिए है क्यूंकि इसको काफी पहले ही बनाया जाना था।
1998 के एक प्रस्ताव के अनुसार इस पूल को 2010 तक 70 करोड़ की लागत से बनाया जाना था लेकिन अधिकारीयों की लापरवाही और अनदेखी के कारण इसे अब तक नहीं बनाया जा सका। इतने लंबे समय में पूरी एक पीढ़ी जवान हो गयी लेकिन इस पूल का जन्म भी नहीं हो सका। अधिकारी सुस्ती दिखाते गए और सरकार डेडलाइन पर डेडलाइन देती गयी।
अधिकारीयों और अफसरों की सुस्ती का नतीजा यह हुआ कि 70 करोड़ से बनने वाले इस पूल पर अब तक लगभग 800 करोड़ रूपये से ज़्यादा जनता का धन लग गया लेकिन क्षेत्र को पूल नाम की कोई चीज़ नहीं बनी। पूल का उद्घाटन कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 के मोके पर किया जाना था लेकिन उस समय ऐसा हुआ नहीं। एक बड़े घोटाले ने दूसरे कम बड़े घोटाले को छुपा लिया। परिणाम यह निकला कि इस निर्माण पर सभी ने अपने अपने हाथ सेंके।
उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिया अब मार्च 2018 तक का डेडलाइन
बार बार सरकार से मिले डेडलाइन के बावजूद पूल के ना बनने पर अब योगी सरकार गर्म हो गयी है। उपराज्यपाल अनिल बैजल ने परियोजना से जुड़े सभी अधिकारीयों और अफसरों से कहा है कि किसी भी हाल में पूल को मार्च 2018 तक तैयार करे नहीं तो दंड के लिए तैयार रहे। उनके हुक्म के बाद अब मानों दशकों से सोये अधिकारी और अफसर नींद से जाग गए है।
पूल पर काम अब तेज हो गया है। लंबे समय से पूल कि सुध न लेने वाले लोग अब दूसरे विभागों की मदद से पूल को बना रहे है। परियोजना में रेलवे और जल बोर्ड का सहयोग लिया जा रहा है। अगर यह पूल बन जाएगा तो इससे वहां पर लोगों को कई तरह की राहत मिलेगी।
पूल के बनने से व्यापर को बढ़ावा मिलेगा साथ ही इस क्षेत्र को आस पास के जगहों के साथ आसानी से जोड़ लिया जाएगा। इस पूल से पुसा रोड, अपर रिज रोड और रोहतक रोड के जरिए फिल्मिस्तान सिनेमा, आजाद मार्केट, डीसीएम चौक और रौशनारा रोड से आईएसबीटी तक जाया जा सकेगा माना जा रहा है कि इसके बनने से ट्रैफिक और दुर्घटनाओं में कमी आएगी।