आईसीसी विश्वकप 2019 के आगाज के लिए अब महज 4 दिन का समय और बाकि है। 30 मई से सभी 10 टीमें एक्शन में नजर आएंगी। जहां टूर्नामेंट के ओपनर मैच में दक्षिण-अफ्रीका का सामना मेजबान इंग्लैंड से होगा। टूर्नामेंट में बल्लेबाजी और गेंदबाजी पर अब तक बहुत ध्यान दिया गया है। लेकिन बल्लेबाजी और गेंदबाजी के साथ-साथ एक और तत्व ऐसा है जिससे मैच में किसी भी समय बदलाव आ सकता है। हां, हम फिल्डिंग की बात कर रहे। विश्वकप जैसे बड़े टूर्नामेंट में फिल्डिंग बहुत मायने रखती है। ऐसे में कुछ ऐसे फिल्डरो पर एक नजर डालते है जो अपनी फिल्डिंग से अपनी टीम के लिए मैच विजेता साबित हो सकते है।
रवींद्र जडेजा (भारत)
स्पिन जोड़ी कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल के उदय के बाद सीमित-ओवरों में वह अब भारत की टीम का नियमित हिस्सा नही है। लेकिन टीम में बहुत कम ही ऐसे खिलाड़ी नजर आते है जो सौराष्ट्र के ऑलराउंडर की गति और चपलता का मुकाबला कर सकते हैं। वह जब मैदान में होते है तो अब युवराज सिंह की जगह प्वाइंट पर खड़े होते है। जहां वह एक्रोबैटिक कैच और सीधे हिट को खींच सकते है, उसकी उत्कृष्ट प्रत्याशा के लिए धन्यवाद जो उसे कोणों को काटने में मदद करता है। डेजा भी बुलेट आर्म के साथ एक शीर्ष आउट-फील्डर हैं और अक्सर कप्तान कोहली उनकी सेवाओं का उपयोग करते हुए गहरे में देखते हैं कि जब स्लॉग ओवर खुला होता हैं।
डेविड वार्नर (ऑस्ट्रेलिया)
ऑस्ट्रेलिया की टीम में हमेशा टॉप क्लास फिल्डर नजर आए है जिसमें डेविड वार्नर भी एक है। वह अपनी टीम के लिए बल्लेबाजी में तो हमेशा शानदार प्रदर्शन करते ही है लेकिन जब फिल्डिंग की बात आती है तो वह डाइव लगाने से नही डरते। आईपीएल में भी वह इस बार शानदार फिल्डिंग करते नजर आए थे और वह अब लंदन में भी अपनी फिल्डिंग से अपनी टीम की मदद करते दिखाई देंगे।
विराट कोहली (भारत)
यह महान खिलाड़ी अपनी बल्लेबाजी के लिए तो सर्वश्रेष्ठ माना ही जाता है। लेकिन जब फिल्डिंग की बात आती है तो मुश्किल ही कोई दिन ऐसा देखने को मिलता है। 2012 से कोहली फिटनेस के बहुत शौकीन रहे है, और उनकी फिटनेस मैदान पर फिल्डिंग और पिच के बीच में रन लेते हुए दिखाई देती है। कोहली टीम के लिए शुरुआती ओवर में स्लिप में शानदार कैच पकड़ते हुए बहुत बार दिखाई दिए है और बीच के ओवर में वह लोंग-ऑफ और लोंग-ऑन में भी टीम के लिए कई बाउंड़्री रोकते हुए दिखाई दिए है। ऐसे में आगामी विश्वकप में वह अपनी फिल्डिंग से किसी भी मैच में एक बदलाव ला सकते है।
हार्दिक पांड्या (भारत)
अपने लंबे और आक्रमक हिटिंग के लिए जाने-जाने वाले भारतीय टीम के हरफनमौला खिलाड़ी अपनी फिल्डिंग के लिए भी कई बार मैदान में सुर्खिया बटौरते आए है। हार्दिक एक दुबले खिलाड़ी है तो वह गेंद के पीछे तेजी से भागते है और कई बार ऐसे कैच पकड़ते हुए नजर आए है जिसकी किसी को भी उम्मीद नही होती। अपने इस लचीलेपन और तेज दौड़ने की क्षमता ने उन्हें आगामी विश्वकप में टीम के लिए एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाती है।
बेन स्टोक्स (इंग्लैंड)
पिछले विश्वकप में कुछ कारणो की वजह से टीम में शामिल नही किए गए बेन स्टोक्स इस समय इंग्लैंड की टीम की रीड की हड्डी बने हुए है। वह अपने 3 आयामी प्रदर्शन के लिए पिछले कुछ समय से बहुत मशहूर है। अगर आप बेन स्टोक्स की फिल्डिंग की बात करते है तो आईपीएल और अपनी राष्ट्रीय टीम के लिए उन्होने कुछ ऐसे शानदार कैच लपके है जिन्हे देखकर विश्वास नही होता है। और ऐसा ही कुछ कमाल वह अपनी फिल्डिंग से आगामी विश्वकप में भी दिखा सकते है।
ग्लेन मैक्सवेल (ऑस्ट्रेलिया)
जब मैक्सवेल को साल 2013 में मुंबई इंडियंस की टीम ने अपनी फ्रेंचाईजी के लिए खेलने का मौका दिया था। उस दौरान उन्हे ज्यादा मैचो में प्लेइंग-11 में नही रखा गया था और जिस भी मैच में उन्हे खेलने को कहा जाता था वह अपनी फिल्डिंग से जरुर प्रभावित करते थे। जब वह प्वाइंट, कवर शॉट या डीप मिड-विकेट पर हो तो बल्लेबाजो के लिए उनके आसपास से रन निकलना बेहद मुश्किल हो जाता है। और ऐसा ही द्श्य जल्द देखनो को मिल सकता है जब टीम अपने पहले मैच में 1 जून को अफगानिस्तान का सामना करेगी।
आंद्रे रसेल (वेस्टइंडीज)
रसेल ने हाल में समाप्त हुए आईपीएल में अपनी आक्रमक हिटिंग से पूरे विश्व में सुर्खिया बटौरी थी। लेकिन वह अपनी फिटनेस पर हमेशा गंभीर रहते है और मैदान पर जब वह फिल्डिंग करते दिखाई देते है तो उनकी शरीर से उनकी फिटनेस का पता लगता है। अगर रसेल बाउंड्री पर खड़े है और बल्लेबाज ग्राउंड शॉट के तहत छक्का लगाने की कोशिश करता है तो मुश्किल ही है की गेंद रसेल के हाथे से निकल कर छक्के पर जा सके। वह बाउंड्री पर बहुत एक्टिव रहते है और पिछले कुछ समय में उन्होने बाउंड्री में शानदार कैच लपके है।
फाफ डू प्लेसिस (दक्षिण-अफ्रीका)
अपनी टीम के साथ एबी डिविलियर्स के सन्यांस लेने के बाद डू प्लेसिस ने अपनी कंधो पर टीम की पूरी जिम्मेदारी ले रखी है। वह बल्लेबाजी में टीम के लिए अबतक एक अहम भूमिका निभाते आए है। रनिंग, डाइविंग और गेंद के पिछे तेज दौड़ना डू प्लेसिस के लिए हर मैच में भूमिका रहती है और वह ऐसा करते हुए टीम के लिए जितने रन हो सके बचाते है। ऐसा ही कुछ वह आगामी विश्वकप में भी करते नजर आएंगे और किसी भी मैच में अपनी फिल्डिंग से वह मैच मोड़ सकते है।