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    अमेरिकी अदालत ने मिनियापोलिस के पूर्व पुलिस अधिकारी डेरेक चाउविन को जॉर्ज फ्लायड की हत्या का दोषी माना है। वाशिंगटन की हेनेपिन काउंटी कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है। ज्यूरी ने डेरेक को दूसरे दर्जे की गैर-इरादतन हत्या, तीसरे दर्जे की हत्या और दूसरे दर्जे की निर्मम हत्या का दोषी माना है। डेरेक को दो माह में सजा सुनाई जाएगी।

    अमेरिकी कानून के अनुसार, दूसरे दर्जे की गैर-इरादतन हत्या में अधिकतम 40 साल की सजा, तीसरे दर्जे की हत्या में 25 साल की सजा और दूसरे दर्जे की निर्मम हत्या में 10 साल की सजा या 20 हजार डॉलर जुर्माने का प्रावधान है। ऐसे में दोषी पुलिसकर्मी डेरेक चाउविन को जेल में 75 साल गुजारने पड़ सकते हैं। हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं हुआ है कि ये सभी सजा एक साथ चलेगी या फिर अलग-अलग।

    जो बाइडन की प्रतिक्रिया

    इस फैसले का राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी स्वागत किया है। उन्होंने कहा- ये फैसला जॉर्ज को वापस तो नहीं ला सकता लेकिन इससे हमें पता चलेगा कि हम आगे क्या कर सकते हैं। उसके आखिरी शब्द थे, मैं सांस नहीं ले सकता। हम इन शब्दों को मरने नहीं दे सकते। हमें इन्हें सुनना होगा। हम इससे भाग नहीं सकते।

    क्या था पूरा मामला

    जॉर्ज फ्लॉयड की मौत 25 मई 2020 को हुई थी। वे 46 साल थे। जॉर्ज फ्लॉयड सिगरेट खरीदने के लिए दुकान में गए थे, लेकिन दुकान के कर्मचारी ने यह कहते हुए पुलिस को बुला लिया कि जॉर्ज फ्लॉयड ने 20 डॉलर के नकली नोट दिए। गिरफ्तार करने आई पुलिस ने जॉर्ज फ्लॉयड को जमीन पर लिटा दिया और गले पर अपना घुटना डाल दिया। इसी दौरान जॉर्ज फ्लॉयड की मौत हो गई।

    नौ मिनट तक गर्दन को घुटने से दबाया

    गौरतलब है कि पिछले साल 25 मई को एक पूर्व श्वेत अधिकारी डेरेक शॉविन ने लगभग नौ मिनट तक फ्लॉयड की गर्दन को अपने घुटनों से दबाए रखा था। इसके बाद उसकी मौत हो गई थी। फ्लॉयड की मौत के बाद मिनियापोलिस और पूरे अमेरिका में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए और देशभर में नस्लीय भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई गईं। फ्लॉयड के परिवार ने जुलाई में शहर प्रशासन के खिलाफ संघीय नागरिक अधिकार के उल्लंघन का मुकदमा दायर किया, उनकी मृत्यु के लिए चौविन और तीन अन्य अधिकारियों पर आरोप लगाया।

    ज्यूरी को भेजा गया था मामला

    अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के मामले में पूर्व पुलिस अधिकारी डेरेक चाउविन के खिलाफ हत्या का मामला सोमवार को ज्यूरी को भेज दिया गया था। पिछले साल चाउविन द्वारा अश्वेत नागरिक फ्लॉयड की गर्दन को घुटने से दबाये जाने के बाद दम घुंटने से उसकी मौत हो गई थी, जिसका वीडियो सामने आने के बाद अमेरिका में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे।

    लोगों में फिर से नाराजगी उभरने के बाद इस मामले को जूरी को भेजने का फैसला लिया गया। ज्यूरी में छह श्वेत लोग और छह अश्वेत लोग शामिल थे। लगभग पूरे दिन बहस चली, जिसमें अभियोजन पक्ष का तर्क था कि पिछले साल मई में चाउविन ने फ्लॉयड के जीवन को इस तरह से छीन लिया कि एक बच्चा भी जानता है कि वह तरीका गलत था।

    हालांकि, बचाव पक्ष ने दावा किया था कि सेवा से बर्खास्त किए जा चुके श्वेत अधिकारी ने उचित कार्रवाई की थी और 46 वर्षीय फ्लॉयड की हृदय संबंधी बीमारी और नशीली दवाओं के अवैध इस्तेमाल से मौत हुई थी।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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