अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार को अपने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ओजोहं बोल्टन को बर्खास्त कर दिया था। उन्होंने कहा कि “बोल्टन उत्तर कोरिया की नीति में मुसीबत, वेनेजुएला पर लीक से हटके और प्रशासन के महत्वपूर्ण अधिकारियो के साथ नहीं नहीं होते थे।”
ट्रम्प ने कहा कि “बोल्टन ने गलतियां की है, इसमें लिबयन मॉडल पालन करने के तहत उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन पर आक्रमक रवैया अपनाया और सभी परमाणु हथियारों का समर्पण करने की मांग की। जब बोल्टन ने लिबयन मॉडल की बात की तो हम बुरु तरह से निराश हो गए, क्या मुसीबत है।”
उन्होंने कहा कि “उत्तर कोरिया के साथ समझौते में वह इसका सितेमल कर रहे थे। इसके बाद किम जोंग ने जो भी कहा मैं उसके लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराहुंगा और वह जॉन बोल्टन से कुछ नहीं चाहते है, इसमें सख्त बनने का कोई सवाल नहीं है। यहाँ ऐसा कुछ कहकर चालाक न बनने का सवाल है।
ट्रम्प ने कहा कि “वह वेनेजुएला के मामले पर बोल्टन से असहमत थे। मैंने सोचा वह इस लाइन से ही बाहर है और मेरे ख्याल से मैं सही साबित हुआ हूँ। बोल्टन का कट्टरपंथ नजरिया प्रशासन के अन्य अधिकारियो के साथ नहीं मिलता है जो मुझे सबसे महत्वपूर्ण लगता है।”
उन्होंने कहा कि “जो भी हम कर रहे थे, जॉन उससे हटके थे” वेनेजुएला के समाजवादी राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को सत्ता से बाहर निकालने में नाकामयाब होने के कारण ट्रम्प की बर्दाश्त जवाब दे गयी। प्रतिबंधो के अमेरिकी अभियान और कूटनीति को बोल्टन चला रहे थे।
ईरान पर ट्रम्प प्रशासन की कट्टर नीति के प्रमुख रचियता बोल्टन ही थे। ईरान के राष्ट्रपति के साथ मुलाकात के लिए प्रतिबंधो को कम करने पर विचार करने के बाबत ट्रम्प ने कहा था कि हम देखते हैं कि क्या होता है। इस कदम का बोल्टन ने सख्ती से विरोध किया था।
बीते वर्ष किम और ट्रम्प की पहली मुलाकात में बोल्टन ने एकतरफा निरस्त्रीकरण के लिए लिबयन मॉडल का सुझाव दिया था। इससे पूर्व उन्होंने देश के सत्ताधारी वंश को उखाड़ने के लिए सैन्य ताकत का इस्तेमाल करने का प्रस्ताव रखा था। फ़रवरी में उत्तर कोरिया के साथ वार्ता के ट्रम्प के प्रयास तब खत्म हो गए जब बोल्टन की सलाह पर हनोई में ट्रम्प ने किम को एक पपेर दिया जिसमे प्योंगयांग के सभी परमाणु हथियारों और बम ईंधन को अमेरिका को सौंपना था।
ट्रम्प के ऐलान के एक दिन पूर्व ही उत्तर कोरिया ने वार्ता को बहाल करने की इच्छा जताई थी। जानकारों के अनुसार, बोल्टन के इस्तीफे से अमेरिका को वार्ता का रुकज अपनी तरफ मोड़ने में मदद मील सकती है।