ब्रिटिश-मुस्लिमों का कहना है कि नई जॉनसन सरकार के अंदर उनके समुदाय को अपने भविष्य की चिंता है। मीडिया ने शनिवार को इस बात की जानकारी दी। 11 दिसंबर को हुए मतदान और 12 दिसंबर को उनके परिणामों में बोरिस जॉनसन की पार्टी ने भारी बहुमत के साथ जीत हासिल की है।
मेट्रो डॉट कॉम यूके की खबर के अनुसार, बोरिस पर व्यक्तिगत रूप से इस्लामोफोबिया (इस्लाम से डर) का आरोप लगते रहे हैं और इसी क्रम में ब्रिटेन में ब्रिटिश-मुसलमानों के स्थान को आश्वस्त करने के लिए मुस्लिम काउंसिल ऑफ ब्रिटेन (एमसीबी) ने प्रधानमंत्री जॉनसन से मुलाकात की।
मुस्लिम काउंसिल ऑफ ब्रिटेन (एमसीबी) के महासचिव हारुन खान ने कहा कि जहां एक ओर सत्तारूढ़ कंजरवेटिव अपनी जीत का जश्न मना रही है, वहीं दूसरी ओर देश भर में मुस्लिम समुदाय में एक ‘स्पष्ट डर’ दिखाई दे रहा है।
उन्होंने कहा, “हमारी सत्तारूढ़ पार्टी और राजनीति में कट्टरता की चिंताओं के साथ हमने चुनाव प्रचार अभियान में प्रवेश किया था। और अब सरकार पहले से ही इस्लामोफोबिया की शिकार है।”
खान ने कहा, “जॉनसन को एक बार फिर भारी मतों के साथ सत्ता पर काबिज होने का मौका मिला है और हम प्रार्थना करते हैं कि वह पूरे ब्रिटेन के लिए कार्य करेंगे।”
मार्गरेट थैचर की 1987 की जीत के बाद से जॉनसन की कंजरवेटिव पार्टी की यह सबसे बड़ी जीत है। वहीं इन आम चुनाव में लेबर पार्टी की हालत 1930 के बाद से सबसे अधिक खस्ता हाल रही।