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    जैविक खेती organic farming in hindi

    इस तकनीक वाले आधुनिक युग में आपको बहुत सारे ऐसे लोग मिल जाएंगे जो जैविक खेती की तरफ आगे बढ़ने की वकालत करते हैं।

    बड़ी-बड़ी तमाम संस्थाएं अक्सर यह कहते हुए मिल जाएंगी कि जैविक खेती करो, फायदे ही फायदे हैं, तमाम दिक्कतें दूर हो जाएंगी वगैरह-वगैरह।

    फिर भी हममें से बहुत सारे लोगों को यह पता ही नहीं होता क्या आखिर जैविक खेती क्या है? जैविक खेती कैसे करें? यह परंपरागत खेती से कैसे भिन्न है? कैसे यह हमारे स्वास्थ्य लेकर धरती तक के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है? इसके फायदे कितने हैं और नुकसान कितने हैं? और आखिर इसको लोग अपना क्यों नहीं रहे हैं?

    विषय-सूचि

    जैविक खेती (organic farming in hindi)

    जैविक कृषि का मतलब एक ऐसे कृषि पद्धति से है, जिसमें रासायनिक तत्व का प्रयोग ना करके ज्यादातर समय प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त तत्वों को ही प्रयोग में लाया जाता है।

    बहुत सारे लोग आज भी जैविक खेती को आश्चर्य की निगाह से देखते हैं। दरअसल जब से इन रासायनिक तत्वों की खोज हुई है, किसानों की आकांक्षाएं बढ़ती चली गई।

    किसान हर फसल में ज्यादा से ज्यादा पैदावार निकालने के लिए विभिन्न प्रकार के कीटनाशक और रासायनिक तत्वों का अंधाधुंध प्रयोग करता चला गया। जिससे उसकी पैदावार में तो काफी इजाफा हुआ लेकिन, इन सबके साथ एक चीज जो बहुत बुरा हुआ वह यह कि हमारी मिट्टी की उर्वरता घटती चली गई।

    किसान धीरे-धीरे तमाम तरह की रासायनिक तत्वों पर निर्भर होते चले गए। आज आलम यह है कि अब बिना तमाम प्रकार की खाद और कीटनाशकों के प्रयोग के कोई भी फसल तैयार नहीं हो पा रही है।

    मिट्टी की घटती उर्वरकता एक चिंतनीय विषय बन चुका है। इसलिए वैज्ञानिकों ने जैविक खेती की तरफ कदम बढ़ाया जिसमें काफी हद तक सफलता भी पाई है। जैविक खेती में किसी भी तरह का कोई रासायनिक कीटनाशक का प्रयोग ना करके जैविक खादों का प्रयोग किया जाता है।

    आजकल घर के भीतर भी जैविक खेती की जा रही है।

    जैविक खेती घर में

    जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सन 1972 में स्थापित इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ ऑर्गेनिंक एग्रीकल्चर मूवमेंट नाम की अंतर्राष्ट्रीय संस्था ने जैविक कृषि को परिभाषित करते हुए कहा था कि-” जैविक कृषि उत्पादन की एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें मिट्टी के स्वास्थ्य के साथ-साथ आम लोगों को भी स्वास्थ्य बना रहता है। यह पारिस्थितिकी प्रक्रियाओं, जैव विविधता और प्रतिकूल प्रभावों के साथ खेती के बजाय स्थानीय स्थितियों के अनुकूल चक्रों पर निर्भर करता है तथा जैविक कृषि परंपरागत और विज्ञान को साझा पर्यावरण का लाभ लेने के लिए उन्हें उचित संबंधों को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है।”

    परंपरागत कृषि और जैविक कृषि में अंतर (difference between organic and inorganic farming in hindi)

    परंपरागत खेती में किसान के सामने बीज बोने से ही नही बल्कि बीज बोने से पहले खेत तैयार करने से लेकर फसल काटने तक के समय में कई ऐसे मौके आते हैं, जब किसान तरह-तरह के रसायनिक तत्वों तथा कीटनाशकों का प्रयोग करता है।

    मसलन अगर कोई फसल बोई जानी है तो उसके पहले खेत तैयार करते समय किसान मिट्टी को शोधित करते हैं। यह मृदा शोधन इसलिए किया जाता है ताकि बोए जाने वाले बीजों में कोई समस्या ना हो। वह आसानी से अंकुरित होकर बाहर निकल सके।

    मिट्टी के साथ-साथ बीजों को भी शोधित किया जाता है (अगर बीज हाइब्रिड नही है तो)। ऐसे ही जब बीज अंकुरित हो रहे होते हैं तो उसी समय कई प्रकार के खरपतवार भी उग रहे होते है।

    इन खरपतवारों को नष्ट करने के लिए पारंपरिक किसान कई प्रकार के वीडिसाइड्स यानी खरपतवार नाशी का प्रयोग करते हैं। जबकि जैविक कृषि करने वाला किसान उन खरपतवारों को हाँथ से निकालता है।

    हालाँकि ये काफी मेहनत का काम होता है लेकिन इससे न तो मिट्टी को, न मनुष्य को और न ही पर्यावरण को किसी प्रकार का कोई नुकसान होता है।

    जैविक खेत
    जैविक खेत

    ऐसे ही किसान फसल के उगने से लेकर काटने तक कई बार रासायनिक खाद और कीटनाशकों का प्रयोग कर रहे हैं। इसकी वजह से मिट्टी की उर्वरता धीरे-धीरे घटती जा रही वहीं दूसरी तरफ जैविक खेती में होता क्या है कि, जैविक खेती में किसी भी प्रकार का कीटनाशक और रासायनिक खादों का प्रयोग न करके पशुओं के गोबर से बनी देशी खाद के साथ-साथ प्राकृतिक अनुकूलन चक्र का सहारा लेते हुए खेती करते हैं।

    ये तो था, ऑर्गेनिक और पारंपरिक खेती में मोटा-मोटा अंतर। अब जानते हैं कि ऑर्गेनिक खेती करने के फायदे क्या-क्या हैं। आखिर क्यों कोई जैविक कृषि करे?

    जैविक कृषि करने के कारण (importance of organic farming in hindi)

    1. मृदा के स्वास्थ्य को बचाने के लिए

    मृदा या मिट्टी यानी वो जगह जहां पर फसलें तैयार हुआ करती है। जब रासायनिक खाद और कीटनाशकों का जन्म नहीं हुआ था तो किसान गोबर सहित तमाम तरह की कूड़े कचरे से कंपोस्ट खाद का इस्तेमाल किया करता था, जिससे मिट्टी की उर्वरता में इजाफ़ा होता था।

    लेकिन अब तमाम तरह के रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक बाजार में आ गए हैं। किसान उसका उपयोग करते हैं, जिससे किसान की फसल में तो बढ़ जाती है।

    लेकिन धीरे-धीरे मिट्टी की उर्वरकता घटने के कारण किसान पूरी तरह से जैविक खाद और रासायनिक उर्वरकों पर पूरी तरह से चला जा रहा है जो कि एक बहुत बुरा संकेत है।

    2. पोषक तत्वों को बचाये रखने के लिए

    जैसे जैसे रासायनिक उर्वरकों की मात्रा बढ़ती गई, वैसे वैसे उत्पन्न होने वाले खाद्यानों और सब्जियों में पोषकता घटती चली गई।

    आज आलम यह है कि बैगन समेत कई सब्जियां और अनाज ऐसे हो गए हैं जिसमें पोषक तत्व से ज्यादा हानिकारक तत्व हो गए हैं।

    भयंकर रासायनिक उर्वरकों, पेस्टिसाइड आदि के इस्तेमाल से उत्पादित फसलों से बनाए गए भोजन को ग्रहण करने से लोगों में तरह-तरह की बीमारियां फैल रही है। इनका इलाज करवाना आम आदमी के लिए मुश्किल हो जाता है।

    तो…. अगर परंपरागत खेती ना करके जैविक खेती की जाए तो खाद्यान्नों के पोषक तत्वों को बचाया जा सकेगा।

    3. कृषि की लागत कम करने के लिए

    परंपरागत कृषि में तमाम तरह के रासायनिक तत्वों तथा कीटनाशकों के प्रयोग किए जाते हैं। इस में किसानों को एक फसल तैयार करने में काफी पैसा खर्च करना पड़ता है। जबकि जैविक कृषि की जाएगी तो इतना पैसा खर्च नहीं होगा।

    क्योंकि इसमें विभिन्न प्रकार के महंगे रासायनिक उर्वरकों की जगह गोबर सहित तमाम बेकार कूड़े-कचरे से बनाई गई कंपोस्ट खाद का प्रयोग करते हैं जिसमें पैसे की लागत कम रहती है।

    4. पशु उत्पादों में खतरनाक तत्वों को रोकने के लिए

    दरअसल होता क्या है कि, किसान जो फसल उगाता है उसका एक बड़ा हिस्सा पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। जब पशु उन चारों को खाते हैं तो उनके अंदर कई अलग अलग किस्म के खतरनाक तत्व जन्म ले लेते हैं।

    फिर उन्हीं पशुओं से प्राप्त दूध, मांस और अंडे आदि को मनुष्य खाते हैं। इन्हीं दूधों और अंडों के जरिए ये तत्व आदमी के शरीर में प्रवेश करते हैं। और तमाम तरह की बीमारियों का कारण बनते हैं।

    अमेरिका में प्रकाशित एक शोध की दावा किया था कि मनुष्य के शरीर में पहुंचने वाले 90% से ज्यादा रासायनिक तत्व दूध और मांस के जरिए ही आते हैं।

    5. पर्यावरण की सुरक्षा के लिए

    तमाम तरह के कीटनाशक दवाओं के छिड़काव से पर्यावरण बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। दावा किया जाता है कि जब किसान कीटनाशकों का छिड़काव करते हो तो 90% से ज्यादा भाग हवा में मिल जाता है। जबकि 10% से भी कम भाग फसल पर लगता है।

    इस प्रकार 90% वाला भाग जब हवा में घुल-मिल जाता है तो पर्यावरण में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। उस क्षेत्र में रहने वाले लोगों में काफी प्रभाव पड़ता है। तो…. जैविक खेती करने से पर्यावरण को साफ बनाए रखने में मदद मिलेगी।

    6. प्राकृतिक और अच्छा स्वाद

    जिन लोगों ने एक बार जैविक कृषि से प्राप्त खाद्यान और सब्जियों से बने भोजन को ग्रहण कर लिया है, वो उसके स्वाद को चाहकर भी कभी नहीं भुला पाते क्योंकि जैविक कृषि से प्राप्त फसलों और सब्जियों के स्वाद उच्च स्तर के होते हैं।

    एक बात यहां पर जो ध्यान देने लायक है, वो ये कि जैविक कृषि करने वाले किसान हमेशा गुणवत्ता पर ध्यान देते हैं ना कि मात्रा पर।

    इन कारणों को देख और समझ कर आपको काफी हद तक ये बात समझ में आ चुकी होगी कि जैविक कृषि हम क्यों करें?

    जैविक खेती चीजें

    अब बात करते हैं कि जैविक खेती के फायदे क्या हैं?

    जैविक कृषि के फायदे (organic farming benefits in hindi)

    1. अच्छा पोषण

    अच्छा पोषण मिलना हर मनुष्य के लिए जरूरी होता है। दरअसल पोषक तत्व किसी मनुष्य को शारीरिक रूप से विकसित होने में सबसे ज्यादा अहम भूमिका निभाते हैं। पोषक तत्वों की कमी से कई बार बच्चों का सम्पूर्ण विकास ठीक से नही हो पाता है।

    2. अच्छा स्वास्थ्य

    पारंपरिक कृषि करने से जो फसल उगती है उसमें तमाम प्रकार के हानिकारक तत्व होते हैं जो जब मनुष्य के शरीर में प्रवेश करते हैं, तो मनुष्य तमाम तरह की बीमारियों से ग्रसित हो जाता है। जैविक कृषि होगी तो अच्छा स्वास्थ्य मिलेगा।

    3. जहर से मुक्ति

    पारंपरिक कृषि में तमाम तरह के जहरीले रासायनिक तत्वों का प्रयोग किया जाता है। जिससे मनुष्य, पशु और मिट्टी सभी को बहुत सारी समस्याएं आती हैं। जैविक खेती होगी तो जहर से मुक्ति मिल जाएगी।

    4. कम पैसा

    आम लोगों में ये धारणा होती है कि जैविक कृषि से प्राप्त फसलों की कीमत ज्यादा होती है, पर ऐसा नही है। बल्कि जैविक कृषि से प्राप्त फसलों और सब्जियों की कीमत कम होती है क्योंकि इसकी लागत भी कम होती है।

    5. बढ़िया स्वाद

    अच्छा स्वाद किसे नही पसंद? हर आदमी चाहता है कि उसे अच्छा स्वाद मिले और अगर ये कम पैसे में मिल जाए तो और भी बढियां रहे।

    6. पर्यावरण सुरक्षा

    पर्यावरण संरक्षण आज एक ऐसा मुद्दा है जिसपर हम सभी को गहरी चिंतन करने की जरूरत है।

    एक किसान बड़ी बड़ी फैक्ट्रियों से निकल रहे दूषित पानी और धुएं को तो नही रोक सकता लेकिन जैविक खेती करके अपने स्तर पर पर्यावरण को संरक्षित करने में अपना योगदान जरूर दे सकता है।

    अब हम पारंपरिक खेती से उपजी समस्याओं को देखते हैं:

    1. मिट्टी की उर्वरकता कम हो रही है।
    2. बारिश के समय में नाइट्रेट पानी के साथ बहकर पानी के स्रोतों को दूषित कर देता है।
    3. ज्यादा ईंधन और ज्यादा जुताई की आवश्यकता पड़ रही है।
    4. मनुष्यों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है।
    5. एक ही खेती बार-बार करने से जैव विविधता का विनाश हो रहा है।
    6. जानवरों को भी जहरीले चारे दिए जा रहे हैं।
    7. जहरीले तत्व के छिड़काव से मनुष्यों के स्वास्थ्य के साथ ही मिट्टी के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है।

    जैविक खेती के नुकसान (disadvantages of organic farming in hindi)

    ऊपर हमनें जैविक खेती के फायदों के बारे में पढ़ा। जब इसके इतने फायदे हैं, तो सभी लोग ऐसा क्यों नहीं कर रहे हैं?

    ऐसा इसलिए है क्योंकि जैविक खेती के नुकसान भी बहुत हैं, जिनके बारे में हम यहाँ चर्चा करेंगे।

    1. जानकारी की कमी

    भारत में किसानों को बड़ी मात्रा में जैविक खेती की जानकारी नहीं है। सरकार भी किसानो को इससे अवगत कराने के लिए कुछ नहीं कर रही है।

    ऐसे में यह जरूरी है कि हम किसानों तक इस जानकारी को पहुंचाएं।

    2. रूप-रेखा की कमी

    जैविक खेती करनें के लिए बहुत से उपकरणों की जरूरत होती है, जो हमारे देश में अभी उपलब्ध नहीं है।

    इसके लिए सरकार को कोशिश करनी चाहिए कि वह जैविक खेती करने वाले किसानों को वित्तीय सहायता करे। इससे ज्यादा से ज्यादा लोग इस ओर बढ़ेंगे।

    3. शुरुआत में ज्यादा पैसा लगना

    जब आप जैविक खेती की शुरुआत करते हैं, तब इसमें बहुत लागत आती है।

    खेती के लिए बीज, मशीन, खाद आदि बहुत महंगी आती है, जिसकी वजह से बहुत से किसान ऐसा नहीं करते हैं।

    By मनीष कुमार साहू

    मनीष साहू, केंद्रीय विश्वविद्यालय इलाहाबाद से पत्रकारिता में स्नातक कर रहे हैं और इस समय अंतिम वर्ष में हैं। इस समय हमारे साथ एक ट्रेनी पत्रकार के रूप में इंटर्नशिप कर रहे हैं। इनकी रुचि कंटेंट राइटिंग के साथ-साथ फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी में भी है।

    8 thoughts on “जैविक खेती (आर्गेनिक फार्मिंग) कैसे करें? पूरी जानकारी”
    1. मेरा नाम आलोक सिंह है मै जिला सतना मध्य प्रदेश का रहवासी हूं मै भी जैविक खेती करना चाहता हूं लेकिन इसके बारे में कुछ नहीं जानता हूं क्या आप हमें इस खेती से अवगत करा सकते हैं

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