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    मुकेश अंबानी

    अमेज़न और वालमार्ट विश्वस्तर की दो बड़ी ऑनलाइन रिटेल कंपनी हैं। दोनों ने कुछ समय पहले भारत में एक बड़ी मात्र में निवेश किया था। लेकिन भारत में हो रहे सुधारों के चलते नए ई-कॉमर्स नियमों का गठन कर दिया गया है जिससे इन दोनों कंपनियों का भारत में सफ़र काफी हद तक मुश्किल हो गया है।

    नए ई-कॉमर्स नियमों की जानकारी :

    ई-कॉमर्स के नए नियम गतवर्ष दिसम्बर के आखिरी सप्ताह में बनाए गए थे। नए नियमों के अंतर्गत ये ऑनलाइन ई-कॉमर्स प्लेटफार्म अब अपनी वेबसाइट पर भारी छूट देकर उत्पादों को नहीं बेच सकते हैं और ना ही एक्सक्लूसिव डील के तहत उत्पादों के तहत अपने उत्पादों क बेच सकते हैं।

    इसके अलावा अब विदेशी ई-कॉमर्स विक्रेता ऐसी कंपनी के उत्पाद अपनी वेबसाइट पर नहीं बेच पायेंगे जिसमे इनकी 25 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है। नए नियम बनाने इसलिए जरूरी हो गए क्योंकि बहुत समय से ऑफलाइन और छोटे खुदरा विक्रेताओं से शिकायतें मिल रही थी की ई-कॉमर्स वेबसाइट भारी छूट देकर सभी ग्राहकों को आकर्षित कर लेती हैं जिससे उनके व्यापार में भारी नुक्सान हो रहा है।

    अमेज़न वालमार्ट की आय में होगी भारी गिरावट:

    PwC द्वारा तैयार किए गए विश्लेषण से पता चला है कि ऑनलाइन बेची जाने वाली वस्तुओं का सकल-व्यापारिक मूल्य मार्च में समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष में उम्मीदों से 800 मिलियन डॉलर कम हो सकता है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले तीन वर्षों में बिक्री में भारी गिरावट देखि जा सकती है, जो अगले तीन वर्षों में $ 45.2 बिलियन से कम हो सकती है।

    मुकेश अंबानी करेंगे नया ई-कॉमर्स प्लेटफार्म लांच :

    9वें वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट में संबोधन के दौरान मुकेश अम्बानी ने कहा “जिओ और रिलायंस रिटेल मिलकर गुजरात में हमारे 12 लाख छोटे खुदरा विक्रेताओं और दुकानदारों को सशक्त और समृद्ध बनाने के लिए एक अनूठा नया ई-कॉमर्स प्लेटफार्म लॉन्च करेंगे।”

    क्यों यही है सही समय ?

    यदि रिलायंस द्वारा वर्तमान में ई-कॉमर्स प्लेटफार्म लांच किया जाता है तो यह समय उसके लिए अनुकूल होने वाला है क्योंकि कुछ समय पहले सरकार ने ई-कॉमर्स कंपनियों के नियमों में संशोधन किया था। नए नियमों के मुताबिक़ 1 फरवरी से कोई भी फर्म अपनी हिस्सेदारी की कंपनियों के उत्पादों को ज्यादा नहीं बेच पाएंगी एवं इसके अतिरिक्त ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर कोई एक्सक्लूसिव डील को भी मंजूरी नहीं मिलेगी।

    ऐसा होने से अमेज़न एवं फ्लिप्कार्ट को एक बड़ा झटका लगने वाला है एवं विशेषज्ञों द्वारा हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की गयी थी जिसमे कहा गया था की यदि ये नियम लागू होते हैं तो इन कंपनियों की बिक्री में 46 अरब डॉलर तक की कमी आ सकती है।

    इन नियमों से भारत के खुदरा छोटे व्यापारी खुश हैं। और यदि इस समय रिलायंस स्वदेशी ई-कॉमर्स प्लेटफार्म लांच करता है तो उसे अवश्य समर्थन मिलेगा।

    रिलायंस के खुदरा नेटवर्क का मिलेगा लाभ :

    रिलायंस इंडस्ट्रीज के पास पहले से ही देश में एक बड़ी खुदरा उपस्थिति है। वर्तमान में, इसके 6,500 से अधिक भारतीय शहरों और कस्बों में लगभग 50 गोदाम एवं 10,000 रिलायंस रिटेल स्टोर हैं। छोटे स्टोर और दैनिक दुकान मालिकों के पास भारत का 90 प्रतिशत खुदरा परिदृश्य है। ऐसे परिदृश्य में, रिलायंस की योजना ई-कॉमर्स के माध्यम से स्थानीय रिटेलर के उत्पाद वितरित करने के लिए अपने आधार का उपयोग करने की है। इससे नए प्लेटफार्म को एक तैयार नेटवर्क मिलेगा।

    By विकास सिंह

    विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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