हाल ही में हुई कांग्रेस कार्यसमिति बैठक में सोनिया गांधी द्वारा की गई कोरोना वायरस महामारी पर केंद्र की नीतियों को सफल बताते हुए की गई टिप्पणी पर भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मंगलवार को कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक लंबा पत्र लिखकर फटकार लगाई है ।
कांग्रेस को लिखे पत्र में, नड्डा ने कहा की “ महामारी के खिलाफ इस लड़ाई में, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सहित शीर्ष कांग्रेस नेताओं के आचरण को सिर्फ दोहरी छवि और क्षुद्रता के लिए याद किया जाएगा।” उन्होंने यह भी कहा कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में राजनीतिक रैलियों पर भी कांग्रेस ने कोई रोक नहीं लगाई थी।
आगे कांग्रेस पर निशाना साधते हुए, भाजपा प्रमुख ने कहा कि यह वह पुराना युग नहीं है जहां इस तरह की सच्चाई को सार्वजनिक स्मृतियों से मिटाया जा सके। फरवरी और मार्च के डाटा से पता चलता है कि कौन से राज्य कोरोना वायरस महामारी के बढ़ते मामलों को ट्रैक करने में विफल रहे हैं। जेपी नड्डा ने आगे उनकी खिंचाई करते हुए कहा कि इन चुनौतीपूर्ण समय के दौरान कांग्रेस पार्टी के आचरण से वे दुखी हुए है लेकिन आश्चर्यचकित नहीं।
“पंजाब जैसे राज्यों में मृत्यु दर इतना अधिक क्यों है? ये ऐसे सवाल हैं जो आपको खुद के मुख्यमंत्रियों से पूछने चाहिए” नड्डा ने कहा।
नड्डा ने कांग्रेस को लोगों को गुमराह ना करने के लिए भी कहा
“मैंने ऐसा कोई पत्र कभी नहीं लिखा होगा। लेकिन, कांग्रेस पार्टी के सदस्यों द्वारा बनाए जा रहे भ्रम को देखते हुए, पार्टी से संबंधित नेता और मुख्यमंत्रियों सहित, मुझे यह पत्र लिखने पर मजबूर कर दिया है”। हर कोई यही चाह रहा है कि भारत कोविड-19 महामारी को अत्यंत साहस से लड़े और जल्द ही इस से जंग जीत ले लेकिन कांग्रेस के शीर्ष लोग, हमारी भारत की जनता को गुमराह करने और झूठी दहशत पैदा करने में लगी हुई है।
कांग्रेस की बैठक में की गई टिप्पणी पर हमला करते हुए नड्डा ने कहा कि कांग्रेस कार्यसमिति ने मोदी सरकार की टीकाकरण जिम्मेदारी को पूर्ण रूप से असफल बताया है। जेपी नड्डा ने इस पर कहा कि अब तक भारत सरकार पहले ही राज्यों को 16 करोड़ से अधिक टीके प्रदान कर चुकी है और अभी भी निशुल्क टीका प्रदान करने का अभियान चालू है।
नड्डा ने कहा कि वह सिर्फ एक राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष के रूप में नहीं बल्कि एक पूर्व स्वास्थ्य मंत्री के रूप में यह लिख रहे हैं जिन्होंने कोविड योद्धाओं को करीब से इस महामारी से लड़ते हुए देखा है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि सर्वोच्च न्यायालय ने देखा कि पिछले 70 वर्षों में देश का जो स्वास्थ्य संरचना विरासत में मिली है वह अपर्याप्त है।
आखिर में पत्र में यह लिखा गया कि “मुझे यह कहने की बिल्कुल जरूरत नहीं है कि इन सात दशकों से किस पार्टी का भारत के राजनीतिक सत्ता पर वर्चस्व था”।