मुंबई पुलिस ने मंगलवार को हजारों प्रदर्शनकारियों को मशहूर गेटवे ऑफ इंडिया से हटाकर आजाद मैदान जाने के लिए मजबूर किया, जो रविवार देर रात जेएनयू कैंपस में हुए हमलों की निंदा करने के लिए इकट्ठा हुए थे। एक शीर्ष अधिकारी ने यहां यह जानकारी दी।
पुलिस उपायुक्त (जोन-प्रथम) संग्राम सिंह निशानदार ने गेटवे ऑफ इंडिया पर एक पुलिस दल का नेतृत्व किया और प्रदर्शनकारियों से जगह खाली कर लगभग दो किलोमीटर दूर आजाद मैदान जाने का अनुरोध किया, जिन्होंने रविवार आधी रात के बाद से इस क्षेत्र पर कब्जा कर रखा था। लेकिन प्रदर्शनकारियों ने ऐसा करने से इनकार कर दिया।
डीसीपी निशानधर ने मीडिया को बताया, “यहां विरोध प्रदर्शन से लोगों, कार्यालय जाने वालों, पर्यटकों को असुविधा हो रही है .. इसके अलावा, यहां पानी और शौचालय की कोई सुविधा नहीं है। इसलिए हमने उन्हें आजाद मैदान में भेज दिया है जो इस तरह के प्रदर्शन के लिए बेहतर है।”
ऐसे संकेत हैं कि पुलिस प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अनधिकार प्रवेश करने और पुलिस की अनुमति के बिना कार्यक्रम स्थल पर जाने का मामला दर्ज कर सकती है, जो होटल ताजमहल के अपोजिट एक लैंडमार्क पर्यटक आकर्षण भी है।
मुंबई में विरोध प्रदर्शन मध्यरात्रि (रविवार-सोमवार) के आसपास छोटे पैमाने पर शुरू हुआ, जो सोशल मीडिया नेटवर्क, कैंडल-लाइट मार्च निकालने और मशहूर गेटवे तक जुलूस निकालने के साथ हुआ।
सोमवार दोपहर तक, गेटवे ऑफ इंडिया पर भारी भीड़ जुट गई, कई प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट रूप से सोमवार रात को लंबे समय तक प्रदर्शन करने की तैयारी कर रखी थी।
उनमें से कई लोगों ने स्नैक्स और पानी, मोबाइल चार्जर और बैटरी बैंक, दवाइयां, कंबल/शॉल, टैम्पन और नैपकिन जैसी जरूरत की चीजें अपने पास रखी थी।
स्थानीय भोजनालयों ने प्रदर्शनकारियों के लिए अपने शौचालयों को खोलकर उनके प्रति समर्थन दिखाया और उनकी आवश्यकताओं के अनुसार उनके लिए भोजन और पानी की व्यवस्था की।
गेटवे ऑफ इंडिया पर सोमवार को सुशांत सिंह, वरुण ग्रोवर, श्रीकांत मातोंडकर, विधायक अबु आसिम आजमी, रोहित पवार, कपिल पाटील, किसान नेता अशोक धवले, सामाजिक कार्यकर्ता जतिन देसाई, फहद अहमद, राकांपा नेता व आवास मंत्री डॉ. जितेंद्र आव्हाड आदि लोग शामिल हुए।
प्रदर्शन में शामिल होने वालों में आईआईटी बम्बई, टीआईएसएस, मुंबई विश्वविद्यालय के छात्र, शहर के कई कॉलेजों के छात्र, युवा और सामाजिक संगठन, कार्यकर्ता और अन्य शामिल थे, जिन्होंने भाजपा विरोधी एबीवीपी के नारों के साथ हाथ से पेंट किए गए बैनर/पोस्टर, राष्ट्रीय तिरंगा और महात्मा गांधी, डॉ. बी.आर. आंबेडकर और अन्य नेताओं की तस्वीरें थाम रखी थी और रविवार को जेएनयू परिसर में हुई हिंसा के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।