दिल्ली पुलिस ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के सर्वर रूम में तोड़फोड़ करने के लिए जेएनयूएसयू अध्यक्ष आइशी घोष और 19 अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। टीवी पर रविवार शाम खून से सने चेहरे और सोमवार को पट्टी बांधे नजर आईं घोष पर अब जेएनयू में रविवार को हुई हिंसा में मुख्य भूमिका निभाने का आरोप लगा है।
उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 341, 323 और 506 तथा सार्वजनिक संपत्ति क्षति रोकथाम अधिनियम, 1984 की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। उनके अलावा एफआईआर में साकेत मून, सतीश यादव, सारिका चौधरी और अन्य लोगों के नाम दर्ज हैं।
पुलिस ने इससे पहले जेएनयू हिंसा मामले में चार एफआईआर दर्ज की। दिल्ली पुलिस ने कहा कि एक एफआईआर चार जनवरी को विवि प्रशासन के शिकायत पर पंजीकरण प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करने का है। छात्रों को अगली सेमेस्टर परीक्षाओं के लिए पंजीकरण करना था, जिसमें कथित रूप से कुछ छात्रों ने अवरोध उत्पन्न कर दिया। दूसरी और तीसरी एफआईआर चार जनवरी को मारपीट तथा पंजीकरण प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करने की दर्ज की गई।
चौथी एफआईआर छह जनवरी को जेएनयू हिंसा में कथित भूमिका के लिए अज्ञात और ज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज की गई।
पुलिस ने हिंसा की घटना का संज्ञान लिया और दक्षिण दिल्ली में स्थित वसंत कुंज पुलिस थाने में चौथी एफआईआर दर्ज की गई।
चौथी एफआईआर में इंस्पेक्टर आनंद यादव ने कहा, “फीस वृद्धि और अन्य मुद्दों को लेकर छात्र कुछ दिनों से विवि परिसर में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, क्योंकि दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देश के अनुसार, किसी छात्र को प्रशासनिक ब्लॉक के 100 मीटर के दायरे में विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं है, तो पुलिस वहां तैनात कर दी गई थी।”
एफआईआर में कहा गया है कि शाम 3.34 बजे उन्हें पता चला कि कुछ छात्र हिंसा कर रहे हैं और पेरियार हॉस्टल के बाहर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
यादव ने एफआईआर में कहा, “हम मौके पर पहुंचे तो देखा कि कुछ नकाबपोशों समेत 40-50 अज्ञात लोग लाठियों और लोहे की छड़ों से हॉस्टल के बाहर और अंदर छात्रों को पीट रहे हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि वे संपत्तियों को नुकसान पहुंचा रहे थे और छात्रों को पीट रहे थे। यादव ने कहा कि वे और उनकी टीम ने मौके पर जाकर शांति कायम रखने की अपील की।
उन्होंने कहा, “हम लोगों के मौके पर पहुंचते ही अज्ञात लोग भाग गए।”
परिसर के अंदर स्थिति पर नियंत्रण करने के लिए विवि प्रशासन ने पुलिस को हॉस्टल परिसरों में प्रवेश की लिखित मंजूरी दे दी।
जेएनयू प्रशासन का आग्रह पत्र मिलने के बाद परिसर के अंदर हिंसा पर नियंत्रण पाने के लिए पुलिस टीमों को बुलाया गया।
उन्होंने कहा, “हमने छात्रों से शांति कायम रखने और हिंसा में शामिल नहीं होने की अपील की।”
इसी बीच पुलिस कंट्रोल रूम पर परिसर के अंदर से छात्रों की कॉल आने लगी। वे खुद को पीटे जाने की बात बोल रहे थे।
एफआईआर में लिखा है, “शाम सात बजे. हमें पता चला कि लगभग 40-50 अज्ञात लोग साबरमती हॉस्टल में घुस गए हैं और उन्होंने छात्रों को पीटना और संपत्ति को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है।”
पुलिस टीम तत्काल मौके पर पहुंची और पाया कि 40-50 छात्र और उपद्रवी छात्र हॉस्टल की संपत्ति में तोड़फोड़ कर रहे थे।
यादव ने एफआईआर में कहा, “हमने घोषणा करते हुए उनसे शांति कायम रखने और हिंसा में शामिल नहीं होने तथा तत्काल हॉस्टल छोड़ने के लिए कहा। अराजक तत्व लगातार संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे थे, लेकिन हमारे जोर देने पर वे मौके से भाग गए।”
एफआईआर में कहा गया कि इसके बाद घायल छात्रों की पहचान की गई और उन्हें एम्स ट्रॉमा सेंटर, एम्स अस्पताल और सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया।
एफआईआर में लिखा है, “अनियंत्रित भीड़ ने संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और इसके बाद वह वहां से भाग गई।”