जेएनयू देशद्रोह मामले में पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली सरकार को 23 जुलाई तक आरोपी कन्हैया और उमर खालिद पर पुलिस की चार्जशीट पर मंजूरी का वक्त दिया हैं। अब मामले की सुनवाई 23 जुलाई को होगी।
मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट दीपक सावंत ने कहा कि दिल्ली सरकार को स्पष्ट समय दिया गया हैं। जिसने पहने अदालत से कहा था कि अनुमति देने के लिए किसी निर्णय पर पहुचने में एक महीने से अधिक वक्त लग सकता हैं।
अदालत को सरकार की ओर से कहा गया था कि इस मामले को गंभीरता से देखने के लिए एक महीने से भी अधिक का समय लग सकता हैं जिसके बाद ही यह निश्चत होगा कि कन्हैया कुमार और अन्य आरोपी आईपीसी की धारा 124ए के तहत दोषी हैं या नही।
दिल्ली सरकार के वकील ने आदलत को यह भी कहा कि वह मामले की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए दिल्ली सरकार के स्थायी आपराधिक मामलों के वकील राहुल मेहरा से भी परामर्श करेंगे।
आदालत के 3 अप्रैल के निर्देश पर सरकार की प्रतिक्रिया थी की वह उस समय के बारे में बताए जिसके अंतरगत मामले पर फैसला लिया जाएगा।
आदालत को डीसीपी प्रमोद सावंत द्वारा सुचित करने के बाद की सरकार के पास यह मामला लंबित पड़ा हुआ हैं।
अधिकारिक रिकॉड अनुसार, 14 जनवरी को दिल्ली पुलिस ने चार्जशीत भरे जाने के दो घंटों के पहले ही सरकार को आवेदन किया था। अदालत अभियोजन स्वीकार के आभाव में दोषियों के खिलाफ चार्जशीट का संज्ञान लेते हुए अवमानना कर रही हैं।
चार्जशीट में पुलिस ने कन्हैया पर आरोप लगाए हैं कि 9 फरवरी, 2016 को जेएनयू प्ररिसर में कन्हैया एक कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे थे और उन्होंने कार्यक्रम को दौरान देशद्नोही नारे भी लगाए थे। मामले में आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 124ए, 323,465,471,143(सजा गैरकानूनी सभा में होने की),149 (गैरकानूनी सभा का सदस्य होना),147 (दंगो के लिए) और 120बी (आपराधिक सजिश) लगायी।