जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में शीतकालीन सत्र के लिए एक बार फिर पंजीकरण शुरू हो गया है। मंगलवार को जेएनयू प्रशासन ने वाईफाई व सर्वर रूम को दुरुस्त करने के उपरांत पंजीकरण आरंभ कर दिया। हालांकि, वहीं दूसरी ओर जेएनयू छात्रसंघ ने छात्रों से पंजीकरण के बहिष्कार की अपील की है।
आईसा से जुड़े छात्रों ने जेएनयू वीसी को पूरे घटनाक्रम के लिए जिम्मेदार बताते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है। जेएनयू में रविवार पांच जनवरी की रात नकाबपोश हमलावरों ने छात्रों पर हमला किया था। इस हमले में 36 छात्र जख्मी हुए।
जेएनयू के कुलपति एम. जगदीश कुमार वारदात के दो दिन बाद मंगलवार को पहली बार सामने आए। उन्होंने कहा कि वह विश्वविद्यालय में शांति बहाली के प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने छात्रों से नई शुरुआत करने की अपील की और कहा कि अब छात्र शीतकालीन सत्र के लिए अपना पंजीकरण करवाएं। इस दौरान जेनयू के कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय अपनी सार्थक बहस के लिए जाना जाता है, हिंसा के लिए नहीं।
कुलपति ने छात्रों से कहा कि जेएनयू का पुराना गौरव हासिल करने के लिए हम सभी को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने रविवार रात हुए हमले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि इस प्रकार की हिंसा से कोई समाधान नहीं निकलने वाला है।
इससे पहले जेएनयू में सोमवार से होने वाली परीक्षाएं रद्द करनी पड़ी थीं। परीक्षाओं के अलावा शीतकालीन सत्र के लिए पंजीकरण की व्यवस्था भी विश्वविद्यालय में ठप हो गई थी। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि अब वाईफाई व पंजीकरण से जुड़ी सेवाएं बहाल हो गई हैं। ऐसे में सभी छात्र 12 जनवरी तक अपना पंजीकरण करवा सकते हैं।
फीस बढ़ोतरी के विरोध में धरने पर बैठे जेएनयू के कुछ छात्रों ने पंजीकरण केंद्र का वाईफाई कनेक्शन काट दिया था। जिसके चलते कई छात्र सोमवार से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र के लिए अपना पंजीकरण नहीं करवा सके। हालांकि, जिन छात्रों का पंजीकरण हो चुका था, उन छात्रों ने भी सोमवार को आयोजित परीक्षा में हिस्सा नहीं लिया।
गौरतलब है कि जेएनयू में सोमवार को पीएचडी, एमएससी, स्कूल ऑफ लाइफ साइंस के छात्रों की परीक्षा होनी थी। रविवार रात हुई हिंसा के बाद अधिकांश छात्रों ने परीक्षा देने से इंकार कर दिया। जेएनयू में विभिन्न संकाय व परीक्षा केंद्रों पर तालाबंदी कर दी गई है।
विश्वविद्यालय में अधिकांश अध्यापक भी बिना किसी कार्रवाई के वापस लौट गए। कई अध्यापक इस विषय पर छात्रों के साथ हैं। अध्यापकों का कहना है कि विश्वविद्यालय में सर्वप्रथम छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। विश्वविद्यालय में सुरक्षित माहौल होने पर ही पढ़ाई व परीक्षाएं शुरू करवाई जा सकती हैं।