आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल में काफी तीव्रता आयी है। जी-20 के नेताओं ने शनिवार को ऑनलाइन प्लेटफार्म से आग्रह किया कि आतंकवाद के लिए इंटरनेट के शोषण को रोके ताकि लोगो को आतंकवादियों और हिंसक चरमपंथ से बचाया जा सके।
जी-20 के नेताओं ने बयान में कहा कि “हम कड़े लहजे में आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा करते हैं। क्रिस्टचर्च आतंकी हमले और अन्य हालिया अत्याचारी प्रदर्शनों एक जरुरत है कि हमें यूएन के कानूनों को अमल में लाना चाहिए। हम ऑनलाइन प्लेटफार्म से आतंकी लेखों और फेक जानकारी के जल्द फैलाव को रोकने के लिए प्रयासों में तेजी लाने का आग्रह करते हैं।”
इस बयान का टाइटल “प्रेवेंटिंग एक्सप्लोइटेशन ऑफ़ द इंटरनेट फॉर टेररिज्म एंड वायलेंट एक्सट्रेसिम कंडसिव टू टेररिज्म” पर 20 सदस्यों ने इस पर हस्ताक्षर किये थे और इसका आयोजन 14 जी-20 सम्मेलन के आयोजन के इतर किया गया था।
बयान में कहा कि “हम ऑनलाइन प्लेटफार्म की महत्वता को रेखांकित करते हैं। हम प्रसार का बचाव करते है जबकि डॉक्यूमेंट्री सबूत के संरक्षण को सुनिश्चित करते हैं। हम ऑनलाइन प्लेटफार्म की नियमित और पारदर्शी जान रिपोर्टिंग का स्वागत करते है जो उनकी नीतियों और प्रकियाओं को तय करती है।
इस वर्ष जी-20 के नेताओं ने अलग से आतंकवाद की निंदा की थी और अपने नागरिकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता जाहिर की थी और इंटरनेट का आतंकवाद के लिए इस्तेमाल से बचाव के बारे में बातचीत की थी।
15 मार्च को ऑस्ट्रेलिया के 28 वर्षीय टररंत ने नमाज के दौरान न्यूजीलैंड के दो मस्जिदों पर हमला कर दिया था और वहां मौजूद लोगो पर ओपन फायरिंग शुरू कर दी थी। इस हमले को 200 से भी कम लोगो ने लाइव फेसबुक पर देखा था। फेसबुक ने कहा कि उन्होंने इस वीडियो को 29 मिनट बाद ही डिलीट कर दिया था।
यूज़र्स ने 15 लाख बार इस वीडियो को दोबारा अपलोड करने की कोशिश की थी। बीते वर्ष एर्जेन्टीना में जी-20 के नेताओं की मुलाकात हुई थी। उस दौरान भी आतंकवाद का मामला महत्वपूर्ण था और सिर्फ दो बिंदुओं को ही रेखांकित किया गया था।
वैश्विक नेताओं ने कहा कि “हम ऑनलाइन प्लेटफार्म से आतंकवाद के लिए इंटरनेट के इस्तेमाल को रोकने के लिए कदम उठाने का आग्रह करते हैं।”