1 जुलाई से लागू होने वाले जीएसटी बिल के तहत अब ब्रांडेड दाल, चावल और आटे आदि रसोई के सामन पर 5 फीसदी का टैक्स देना होगा। सरकार ने कहा है एग्रो कमोडिटी और अनाज पर कोई टैक्स नहीं देना होगा पर कोई भी ब्रांडेड वस्तु पर 5 फीसदी टैक्स लगेगा। ऐसा होने से दुकानदार और आम इंसान दोनों की परेशानियां बढ़ सकती है।
सरकार के मुताबिक जीएसटी में फूडग्रेन, दालों और अनाज पर टैक्स नहीं लगाया है क्योंकि ये आम आदमी की बेसिक जरूरत के प्रोडक्ट हैं। लेकिन सरकार ने ‘ब्रांडेड’ टर्म को जोड़कर फूडग्रेन, दालों और अनाज आदि पर 5 फीसदी टैक्स जोड़ दिया है।
जाहिर है की सरकार के नए नियमों से दुकानदारों और डीलर्स में बहुत सारा कन्फूज़न है। आल इंडिया ट्रेडर्स के सेक्रेटरी हंसमुख अढिया ने सफाई देते हुए कहा की “जिन वस्तुओं का ट्रेडमार्क रजिस्टर्ड है वह ‘ब्रांडेड’ की केटेगरी में आएंगे। सरकार की कोशिश दाल-चालव-गेहूं को टैक्स ब्रैकेट से बाहर रखने की है लेकिन ‘ब्रांडेड’ और ‘अनब्रांडेड’ प्रोडक्ट की परिभाषा ने ट्रेडर्स के बीच में कन्फ्यूजन खड़ा कर दिया है क्योंकि ‘ब्रांडेड’ और ‘अनब्रांडेड’ में बहुत ज्यादा अंतर नहीं हैं।”