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    जीएसटी राजस्व नवम्बर

    जीएसटी लॉचिंग के तीन महीने बाद वित्तीय साल 2018 की दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी में बढ़ोतरी हुई है। गुरूवार को जीडीपी बढ़ोतरी के इस आंकड़े से पीएम मोदी को थोड़ी राहत की सांस मिली सकती है, क्योंकि जीएसटी लांचिंग के बाद से ही उन्हें चौतरफा आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा था।

    जीएसटी का उद्देश्य भारत के 29 राज्यों में एक टैक्स सिस्टम को लागू करना था, लेकिन इस प्रणाली के जटिल नियमों तथा तकनीकी समस्याओं के चलते देश के लाखों छोटे व्यापारियों पर इसका असर पड़ा। सरकार ने मार्च 2017 में जीएसटी की घोषणा की थी, जिसके बाद पुरे निर्माण क्षेत्र में मानों भूचाल आ गया था। लोग अपना पुराना सामान तेजी से कम दामों पर बेच रहे थे।

    जीएसटी के नए नियमों से डरे हुए लोगों ने मई-जून के महीने में उत्पादन को भी बिलकुल कम कर दिया था। इसके बाद जैसे ही जीएसटी लागू हुआ था, बड़ी मात्रा में व्यापारियों ने इसका बहिस्कार किया था। सूरत में कपड़ा व्यापारियों ने तो कई दिन हड़ताल भी की थी।

    इन सभी कारणों से लग रहा था कि जीएसटी सरकार की बहुत बड़ी भूल है, जिससे अर्थव्यवस्था को गहरा झटका लगेगा। हालाँकि अब गुरूवार को पेश किए आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2018 की ​दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 6.3 फीसद रही है।

    जो कि अपने तीन साल के पुराने स्तर पर वापस लौट आई है। आप को जानकारी के लिए बता दें कि वित्तीय वर्ष 2017 की पहली तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ 7.9 थी, जो खिसककर वित्तीय 2018 की पहली तिमाही में 5.7 फीसदी पर आ गई थी। जबकि रायटर ने अपने सर्वेक्षण में वित्तीय वर्ष 2018 की दूसरी तिमाही जीडीपी ग्रोथ में 6.4 फीसदी का अनुमान लगाया था।

    अर्थशास्त्रियों का कहना है कि देश की अर्थव्यस्था में गिरावट का यह सिलसिला नवंबर 2016 में लागू विमुद्रीकरण के बाद से देखने को मिला है। जीडीपी ग्रोथ के आंकड़ों के जारी होने के बाद वित्त मंत्री अरूण जेटली ने मीडियाकर्मियों से रूबरू होते हुए कहा कि सरकार ने जीएसटी और विमुद्रीकरण के रूप में दो बड़े सरंचनात्मक सुधार किए, जिसका सकारात्मक परिणाम हमारे सामने है।

    जेटली ने उम्मीद जताई कि अगली तिमाही जीडीपी ग्रोथ का यह आंकड़ा और बढ़ेगा। चीन की जीडीपी 6.8 फीसदी तथा फिलीपींस के 6.9 फीसदी के मुकाबले वित्तीय वर्ष 2018 की पहली तिमाही भारत की जीडीपी 5.7 फीसदी रही। मौजूदा समय में भारत की जीडीपी ग्रोथ एक बार अपने पुराने स्तर 6.3 पर पहुंच चुकी है।

    कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि जनवरी- मार्च में जीडीपी में तेजी से बढ़ोतरी दिखेगी। थॉमसन रॉयटर्स ईकॉन के आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई-सितंबर के दौरान प्रमुख भारतीय कंपनियों की कमाई छः तिमाहियों में सबसे तेज गति से बढ़ी है।

    विनिर्माण क्षेत्र में सबसे ज्यादा विकास

    दूसरी तिमाही के आंकड़ों को यदि देखें तो भारत में विनिर्माण यानी मैन्युफैक्चरिंग विभाग में जबरदस्त विकास देखने को मिला है। जहाँ पहली तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र का जीवीए सिर्फ 1.2% था वही अब बढ़कर सीधा 7% पर पहुँच गया है। ऐसे में यह कहना सही होगा कि जीडीपी विकास में सबसे महत्वपूर्ण कारण विनिर्माण क्षेत्र की वजह से ही हुआ है।

    विनिर्माण क्षेत्र में इस भारी विकास का एक महत्वपूर्ण कारण है, जीएसटी। जीएसटी की वजह से देश के सारे विभिन्न कर मिलकर अब एक हो गए हैं। ऐसे में कारोबारियों को ज्यादा भटकना नहीं पड़ रहा है। सरकार ने टैक्स भरने के लिए भी विभिन्न डिजिटल विकाल्प निकाल दिए हैं, जिनसे आसानी से टैक्स फाइल हो सकता है। ऐसे में व्यापारी ज्यादा से ज्यादा अपने काम पर ध्यान दे सकते हैं।

    जीएसटी को आसान बनाया

    भारत सरकार द्वारा जुलाई में लागू किये गए जीएसटी के बाद व्यापार के विभिन्न विभागों में शिकायतें देखने को मिली थी। लोगों का कहना था कि जीएसटी के तहत उन्हें हर कदम पर टैक्स देना पड़ रहा है।

    हाल ही में वित्त मंत्रालय ने इसे काफी आसान बना दिया है। पिछले ही महीने जीएसटी बिल में बदलाव कर सरकार ने बहुत से उत्पादों को 28 फीसदी जीएसटी से नीचे करके 18 फीसदी जीएसटी में डाल दिया था। 28 फीसदी जीएसटी के अंतर्गत सिर्फ वे ही वस्तुएं हैं, जो आलीशान उत्पादों में आती हैं।

    इसके अलावा सरकार ने 18 फीसदी से कुछ जरूरी वस्तुओं को कम करके 12 फीसदी में डाल दिया है। इसमें रोजमर्रा की वस्तुएं शामिल हैं।

    सरकार ने रेस्तरां में खाने को भी काफी सस्ता कर दिया है। पहले जहाँ रेस्तरां में खाने पर 18 फीसदी जीएसटी देना पड़ता था, उसे अब कम करके 5 फीसदी कर दिया है। इससे बड़ी मात्रा में लोगों को आसानी पहुंची है।