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    जीएसटी कपडा व्यापार

    सरकार को जीएसटी लागू किये हुए लगभग पांच महीने हो चुके हैं। ऐसे में जहाँ इसके लागू होने से कई लोगों को फायदा मिला है, एक बड़े वर्ग के लोग ऐसे हैं, जिन्हे जीएसटी की वजह से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

    भारत में बड़ी मात्रा में मजदूर होने के बावजुद हम औद्योगिक छेत्र में काफी पीछे हैं। कपड़ा व्यापार एक ऐसा ही व्यापार है, जिसमे बड़ी मात्रा में मजदूरों की जरूरत होती है। जहाँ बाकी छेत्रों में स्वचालित मशीने काम कर रही हैं, इस व्यापार में ऐसा होने में अभी काफी समय लगेगा।

    ऐसे में बड़ी मात्रा में मजदूर और सस्ती पगार होने के बावजूद भारत कपड़ा व्यापार में काफी पीछे है। बांग्लादेश और थाईलैंड जैसे देश भारत से आगे हैं। देश में मौजूद परिस्थितियों को देखें तो भारत इस विभाग में सबसे आगे होना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है।

    ऐसा इसलिए, कि सरकार को यह पता ही नहीं है कि एक छोटे व्यापारी को क्या चाहिए? सरकार बड़े व्यापारियों के साथ बैठकर योजनाएं बनाती है, और छोटा व्यापारी परेशान होता है।

    उदाहरण के तौर पर लुधियाना में स्थित एक कपड़ा फैक्ट्री की बात करते हैं। अक्षय जैन नाम के व्यक्ति इसे चलाते हैं। जीएसटी पर उन्होंने कहा, ‘जीएसटी के आने से मुझे व्यापार के हर स्तर पर जीएसटी देना होता है। इसका मतलब मेरे जैसे व्यक्ति को सबसे पहले धागा खरीदने के लिए जीएसटी देना होता है। उसके बाद मैं धागा बुनने वाली फैक्ट्री को जीएसटी देता हूँ। उसके बाद मैं फाइबर को रंगने वाली जीएसटी को टैक्स देता हूँ। इस तरह काम शुरू करने से पहले ही मैं तीन बार टैक्स दे चुका होता हूँ।’

    इसके अलावा खराब सड़कें, बिजली की आपूर्ति और हर चीज के लिए अनुमति चीजों को और धीरे कर देती हैं। अक्षय ने बताया कि सिर्फ बिजली के लिए उन्हें ढाई लाख रूपए का एक डीजी खरीदना पड़ा, जिससे लगातार बिजली रहे। यदि बिजली पूरी तरह से उपलब्ध रहती तो इस पैसे को और लोगों को रोजगार देने में इस्तेमाल किया जा सकता था।

    ऐसे में सरकार को जमीनी स्तर पर मार झेल रहे लोगों से बात करनी चाहिए। सरकार को जानना चाहिए कि छोटे लोग किन समस्याओं का सामना कर रहे हैं और फिर उसपर काम करना चाहिए।

    भारत अर्थव्यवस्था को मजबुती इन छोटे और मध्य वर्ग के रोजगारों से मिलती है। ऐसे में जब तक छोटा व्यापारी संतुष्ट नहीं होगा, तब तक भारत सही मायने में विकास नहीं करेगा।

     

    अक्षय जैन की यह निजी कहानी क्वोरा वेबसाइट से ली गयी है। क्वोरा पर सभी तरह से सवालों के जवाब आसानी से मिल सकते हैं। 

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।