बलोच राजनीतिक कार्यकर्ता और मानव अधिकार संरक्षकों ने बलोच नागरिको पर पाकिस्तान के अत्याचार के खिलाफ क्रोध व्यक्त किया है। नकदी के संकट से जूझ रहा पाकिस्तान अभी संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार परिषद् में कश्मीर ला रोना रो रहा है।
बलोच मानव अधिकार परिषद् संगठन ने बलूचिस्तान में मानवीय संकट के बाबत मंगलवार को यूएन के जिनेवा म,मुख्यालय में संबोधित किया था। उन्होंने कहा कि “पाकिस्तानी सेना का बलूचिस्तान में अभियान जारी है और इस इलाके में गायब होने की संख्या में इजाफा हुआ है।”
पाक सेना का बर्बर अभियान जारी
अमेरिकी स्थिति बलोच नेशनल मूवमेंट के नबी बख्श बलोच ने कहा कि “जब से पाकिस्तान ने हमारी सरजमीं पर कदम रखा है, बलूचिस्तान कभी शान्ति में नहीं रहा है। कुरैशी इसका खुलासा कतई नहीं करेंगे कि पक्सितन वहां क्या अत्याचार कर रहा है। इसलिए हम यहाँ है। अगर हम बाहर आते हैं और बोलते हैं तो हमारी आवाजो को कौन सुनेगा।”
उन्होंने कहा कि “यदि आप धर्म के नाम पर कश्मीरियों के लिए आवाज उठा रहे हैं तो क्या हम बलोच, पश्तून और मुस्लिम अल्पसंख्यक नहीं है। सब कुछ बाहर आ रहा है, सोशल मीडिया के जरिये लोग पाकिस्तान की गतिविधियों पर निगरानी रख रहे हैं।”
ब्रिटेन के मानव अधिकार कार्यकर्ता पीटर तत्चेल्ल ने कहा कि “पाकिस्तान के अन्दर मानव अधिकार संरक्षक और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन के सभी सबूतों में पाकिस्तान द्वारा अपहरण, प्रताड़ना और हत्या के मामले सामने आये हैं। यह साफ़ तौर पर पाकिस्तान के खुद के संविधान और अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार कानून का उल्लंघन है।”
उन्होंने कहा कि “इस्लामाबाद अपनी सरजमीं पर आतंकवादियों को पनाह देता हिया, वित्तपोषण करता है और विदेशो में निर्यात करता है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान पर आर्थिक प्रतिबंधों को कायम रखना चाहिए और इस्लामाबाद से सभी कूटनीतिक संबंधों को तोड़ देना चाहिए।”
रजाक बलोच ने कहा कि “इसे ही आप पाखंड कहते हैं क्योंकि वह बलूचिस्तान में किये गए मानव अधिकारों के उल्लंघन को छुपाना चाहते हैं इसलिए यूएन में कश्मीर पर आंसू बहा रहे हैं।” यूएन मानव अधिकार परिषद् पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने दावा किया कि “विश्व भी बर्बरता से जूझ रहे कश्मीरियों के बारे में बात कर रहा है।”
उन्होंने कहा कि “मैं भारतीय प्रशासित कश्मीर की याचिका को देना चाहूँगा जिनके मूल मानव अधिकारों को भारत द्वारा बल के साथ रौंद दिया गया है। इस अधिग्रहित जमीन पर जूझ रहे लोगो के मूल अधिकारों का व्यवस्थित और सिलसिलेवार उल्लंघन किया जा रहा है।”