2017 के गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान जिग्नेश मेवानी, अल्पेश ठाकोर और हार्दिक पटेल की तिगड़ी नें ऐसा माहौल बनाया था, कि बीजेपी के भी पैरों के तले जमीन खिसक गयी थी। गुजरात में 150 सीटें जीतने की बातें करने वाली बीजेपी को अंत में 99 सीटों से संतोष करना पड़ा।
तीन अलग जातियों से आने वाले इन तीनों नेताओं नें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस की काफी मदद की थी।
इसके 18 महीनों के बाद अब हालाँकि लग रहा है कि ये तीनों नेता कुछ ठंडे पड़ गए हैं।
अल्पेश ठाकोर नें चुनाव के तुरंत बाद कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली थी। वे राधनपुर से कांग्रेस की टिकट पर विधायक बने थे। हाल ही में इन्होनें कांग्रेस पार्टी छोड़ दी है।
दूसरी ओर, हार्दिक पटेल पर दंगा भड़काने के मामले में उन्हें चुनाव लड़ने पर प्रतिबन्ध लगा दिया है।
वहीँ तीसरी ओर, जिग्नेश मेवानी के बारे में कहा जा रहा है कि वे राष्ट्रिय राजनीति में जगह तलाश रहे हैं।
जिग्नेश मेवानी राजनीति के गलियारे में उस समय चमके जब जून 2016 में उना में दलितों की पिटाई के बाद उन्होनें प्रदर्शन किया था। उस समय गाय को मारने के आरोप में कुछ लोगों नें चार दलितों को बहुत पीटा था। बाद में हालाँकि पता चला कि यह आरोप गलत था।
जिग्नेश को कांग्रेस की ओर से वडगम की सीट ऑफर की गयी थी, जिसे उन्होनें 2017 में स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में जीता था।
गिरिराज और कन्हैया के बीच का अंतर कबीर के शब्दों में : बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर
पंछी को छाया नहीं फल लागे अति दूर. pic.twitter.com/PGu3LdVR8G— Jignesh Mevani (@jigneshmevani80) April 8, 2019
हालाँकि तब से ही जिग्नेश मेवानी नें खुद को राष्ट्रिय स्तर का दलित नेता बनाने की कोशिश की है। हाल ही में जिग्नेश बेगूसराय में चुनाव प्रचार कर रहे हैं, जहाँ से उनके मित्र कन्हैया कुमार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं।
हार्दिक पटेल पटेल आंदोलन से चर्चा में आये थे। गुजरात में पटेल आंदोलन के दौरान पुलिस द्वारा गोली चलाने पर 14 पाटीदार लोगों की मौत हो गयी थी। इसके बाद से ही हार्दिक पटेल नें सरकार को घेरना शुरू कर दिया था।
https://twitter.com/HardikPatel_/status/1104732714173980672
एक महीनें पहले हार्दिक नें अधिकारिक रूप से कांग्रेस पार्टी की सदयस्ता ले ली है और अभी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं।
इसी दौरान अप्लेश ठाकोर पिछड़े वर्ग के नेता के रूप में उभरे, जब उन्होनें ठाकोर सेना का गठन किया और गुजरात में शराब के खिलाफ प्रदर्शन किया था।
उन्होनें कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली थी और 2017 के राज्यसभा ह्चुनावों में 14,000 वोटों से जीत भी हासिल की थी।
अल्पेश नें अब घोषणा की है कि वे OBC समाज के लिए काम करेंगे।