रिलायंस जियो के एक शीर्ष कार्यकारी ने कहा कि भारत की बड़ी मोबाइल फोन कंपनियों को कालिंग और डेटा ऑफर से हटकर दूसरी जगहों पर निवेश और नवाचार करना चाहिए, अन्यथा वे नए एवं आक्रामक प्रतिद्वंद्वियों या ऐप निर्माताओं द्वारा बाधित होने का जोखिम चलाते हैं।
जिओ के अधिकारी का पूरा बयान :
जिओ के प्रेसिडेंट मैथ्यू ऊमेनने कहा “केवल कालिंग की सुविधा और यहाँ तक की डाटा की आय सेवा प्रदाताओं के लिए, पर्याप्त नहीं होगी। उन्हें निवेश और इनोवेशन करना होगा ताकि वे ओवर द टॉप कंपनियों या अन्य आक्रामक प्रदाताओं द्वारा विस्थापित ना हों।”
उन्होंने यह भी कहा है “दूरसंचार विभाग में अभी तो व्यवधान आना शुरू हुए हैं। यदि कोई कम्पनी AR ऑगमेंटेड रियलिटी, या VR वर्चुअल रियलिटी जैसी सुविधाएं कम मूल्य में देती हैं तो दूरसंचार के वर्तमान खिलाड़ियों को एक बूरा भविष्य दे सकती हैं। अतः बदलते वक्त के साथ इन्हें भी बदलना होगा।”
उन्होंने कहा, “पांचवीं पीढ़ी (5G) उन ऑपरेटरों के लिए बहुत बड़ा लाभ साबित हो सकती है, जिन्होंने पहले ही 4 जी में काफी निवेश किया है, उन्होंने कहा कि भारत में ऑपरेटर अभी भी अपने 4 जी नेटवर्क का निर्माण कर रहे हैं और सिर्फ वॉयस-ओवर-एलटीई (VoLTE) आधारित आवाज लॉन्च कर रहे हैं।
बताई एयरटेल एवं वोडाफोन की खामियां :
जिओ के आने से पहले एयरटेल एवं वोडाफोन भारत के टेलिकॉम क्षेत्र में बड़े खिलाडी थे। लेकिन जिओ के आने से पहले उन्होंने इसमें पर्याप्त निवेश नहीं किया था जिसके कारण जिओ के आने से इन्हें बहुत नुक्सान झेलना पड़ा एवं इनका कुछ हद तक विस्थापन हो गया। 2016 में जिओ के आने से इन बड़े खिलाड़ियों की आय में एक बड़ी गिरावट देखी गयी थी। इसके साथ ही इनको समय के अनुकूल फैसले ना लेने का दोषी ठहराया गया जिसके कारण Whatsapp, फेसबुक एवं स्काइप जैसी कंपनियां बाज़ार में घुस गयी एवं दूरसंचार प्रादाताओं की कालिंग एवं एसएमएस की आय में एक बड़ा घाटा कर दिया।