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    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार को उन आरोपों की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर पूर्व-प्रवेश नोटिस जारी किया जिसमें सरकार पर नागरिकों की जासूसी करने के लिए इजरायली स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल करने के आरोप लगाए गए हैं।

    अदालत ने सरकार को स्पष्ट कर दिया कि “हम में से कोई भी राष्ट्र की रक्षा से समझौता नहीं करना चाहता। लेकिन इस सूची में भारतीय नागरिक हैं। इनमें से कुछ प्रतिष्ठित व्यक्ति भी हैं, जिन्होंने अपने फोन हैकिंग की शिकायत की है।”

    नोटिस जारी करने के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा कि वह आरोपों की जांच के लिए एक समिति के गठन सहित आगे की कार्रवाई पर विचार करेगी। अदालत ने मामले को 10 दिनों के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

    सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा प्रतिनिधित्व की गई सरकार के दो पृष्ठ के हलफनामे पर सभी आरोपों से इनकार करने के बाद नोटिस जारी किया गया है। सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए सरकार द्वारा कथित तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले किसी भी सॉफ्टवेयर के बारे में कोई खुलासा राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करेगा।

    तुषार मेहता ने सुनवाई की शुरुआत में कहा कि, “वे [याचिकाकर्ता] चाहते हैं कि हम बताएं कि पेगासस का इस्तेमाल किया गया था या नहीं। यह किसी से छुपा मामला नहीं है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के उद्देश्य से सरकारों द्वारा जासूसी की जाती है। इसमें किसी न किसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन वे जानना चाहते हैं कि इसमें कौन सा सॉफ्टवेयर इस्तेमाल किया जाता है। कोई भी सरकार यह नहीं बताएगी कि कौन सा सॉफ्टवेयर इस्तेमाल किया गया है क्योंकि अगर हम इसका खुलासा करते हैं तो आतंकवादी फायदा उठा सकते हैं। कौन सा सॉफ्टवेयर इस्तेमाल किया जाता है या नहीं यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है। यह सार्वजनिक बहस का विषय नहीं हो सकता।”

    उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार किसी को कुछ भी बताने से मना नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि, “हम सिर्फ इतना कह रहे हैं कि हम इसे सार्वजनिक रूप से प्रकट नहीं करेंगे।”

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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