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    जावेद अख्तर ने दी कठुआ मामले पर राय: मृत्युदंड की सजा अपराध का निवारक नहीं है

    सोमवार को पठानकोट की एक विशेष अदालत ने कठुआ गैंगरेप मामले में छह आरोपियों को सजा सुनाई जिसमे से तीन आरोपी- मंदिर पुजारी और मास्टरमाइंड सांजी राम, दीपक खजुरिया और प्रवेश कुमार को उम्रकैद की सजा दी गयी।

    जावेद अख्तर ने लेखिका सोनल सोनकावड़े की पुस्तक विमोचन के दौरान इस मामले पर अपनी राय दी। उन्होंने कहा-“मैंने इसे टेलीविजन पर सुना कि जो लोग उस अमानवीय और बर्बर कृत्य के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी गई है। मैंने यह भी सुना कि कुछ लोग फैसले से निराश थे क्योंकि उन्हें लगता था कि ये लोग मृत्युदंड के हकदार हैं। लेकिन ईमानदारी से कहूं तो मेरे पास मृत्युदंड के बारे में स्पष्ट विचार नहीं हैं और नहीं पता कि यह सही है या गलत।”

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    उन्होंने कहा कि दुनिया भर में मृत्युदंड पर बहस चल रही है।

    “एक बात पर मुझे यकीन है कि मृत्युदंड की सजा अपराध का निवारक नहीं है क्योंकि जहां लोगों ने मृत्युदंड पर प्रतिबंध लगा दिया है, वहां अपराध नहीं बढ़ा है और जिन देशों में मृत्युदंड का प्रावधान है, वहां अपराध कम नहीं हुआ है। इसलिए यह एक निवारक नहीं है।”

    हालांकि, अख्तर ने कहा कि अपराधियों को आजीवन कारावास की सजा दी जाने के दो या तीन साल के बाद स्वतंत्र नहीं घूमना चाहिए। उनके मुताबिक, “मुझे उम्मीद है कि आजीवन कारावास काफी है लेकिन उन्हें ये विशेषाधिकार नहीं होने चाहिए जहां एक ही व्यक्ति दो या तीन साल बाद स्वतंत्र रूप से घूम रहा होगा।”

    By साक्षी बंसल

    पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

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