Tue. Nov 19th, 2024

    जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के छात्रों ने रविवार को हुई हिंसा के खिलाफ सोमवार को एक मार्च निकाला। छात्रों के इस मार्च में जेएनयू के कई अध्यापक भी शामिल हुए। विश्वविद्यालय परिसर में हिंसा की खिलाफत करने के लिए यह मार्च साबरमती हॉस्टल के बाहर से शुरू किया गया।

    वाम समर्थित छात्र संगठन एसएफआई ने पूरे देश भर में विभिन्न छात्र संगठनों और शैक्षणिक संस्थानों से जेएनयू के समर्थन में आगे आने की अपील की है। एसएफआई ने जेएनयू में हुई हिंसा के खिलाफ छात्रों से राष्ट्रव्यापी आंदोलन करने को भी कहा है। इसके लिए एसएफआई ने बाकायदा एक औपचारिक अपील भी जारी की है।

    एसएफआई की इस अपील का देश के कई हिस्सों में असर देखने को मिला है। मुंबई आईआईटी, चेन्नई, मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया, कोलकाता की जादवपुर यूनिवर्सिटी, उत्तर प्रदेश की अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी व दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया समेत देशभर के कई स्थानों पर सोमवार को जेएनयू छात्रों के समर्थन में प्रदर्शन किए गए।

    जेएनयू में हुई हिंसा का असर अब यहां पढ़ने वाले छात्रों पर भी दिखने लगा है। सोमवार सुबह से ही कई छात्रों ने हास्टल खाली करना शुरू कर दिया। हॉस्टल खाली करने वालों में अधिकांश छात्राएं हैं। हालांकि बड़ी संख्या में जेएनयू के छात्र अभी भी विश्वविद्यालय में मौजूद हैं।

    इनमें से एक छात्र शंकर ने बताया कि रविवार रात हुई हिंसा के दौरान वह भी बुरी तरह घबरा गए थे, लेकिन अब उनके मन में किसी प्रकार का भय नहीं है और वह यहां रहकर ऐसे उपद्रवियों को जवाब देना चाहते हैं।

    वहीं दिल्ली में अपने एक रिश्तेदार के घर जा रही छात्रा दीपा ने बताया कि वह भी मजबूरी में अपने रिश्तेदारों के घर जा रही है। दीपा के मुताबिक, हिंसा की वारदात से बिहार में रहने वाले उसके माता-पिता बुरी तरह डर गए हैं।

    गौरतलब है कि रविवार रात जेएनयू में घुसे उपद्रवियों ने साबरमती हास्टल सहित कई हॉस्टल्स में घुसकर तोड़-फोड़ की और छात्रों से मारपीट की, जिसमें कई छात्र और शिक्षक घायल हो गए थे।

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