जापान और रूस के मध्य विवादों की खाई बढती जा रही है। जापान को शक था कि रूस अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए सैन्य बैरैक का निर्माण करेगा, जिसके कारण जापान ने अपने रक्षा बजट में भी वृद्धि की थी। रूस ने सोमवार को कहा कि जापान के नजदीक विवादित द्वीप पर उन्होंने सैनिकों के लिए बैरैक का निर्माण किया है, साथ ही वह हथियारों के लिए अधिक ठिकानों का निर्माण भी करेंगे। इस बयान के बाद जापान में इसका विरोध किया जा रहा है।
रुसी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि वह अगले हफ्ते रुसी सैनिकों को दो विवादित द्वीपों में निर्माण हुए ठिकानों में भेजने की योजना बना रहे हैं। जापान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि दो विशाल द्वीपों पर रूस के 3500 सैनिक तैनात हैं। हाल ही में रूस ने कहा था कि जापान के प्रधानमन्त्री शिंजो आबे 21 जनवरी को मास्को की यात्रा करेंगे, ताकि दोनों देशों के मध्य जारी क्षेत्रीय विवाद को कम करने का प्रयत्न किया जा सके और दूसरे विश्व युद्ध में हुए समझौते का संरक्षण किया जा सके।
जापान का बयान
जापान के विदेश मंत्री तारो कोनो ने कहा कि रूस के खिलाफ जापान विरोध करेगा। जापान ने जुलाई में रूस से द्वीपों पर अपनी सैन्य गतिविधियों को कम करने को कहा था, मोस्को ने इस आग्रह को खारिज कर दिया था। तारो कोनो ने कहा कि हम विरोध करेंगे, वार्ता के दौरान जापान ने अपनी स्थिति को स्पष्ट किया था। उन्होंने कहा कि आगामी बातचीत इस द्वीपीय विवाद का समाधान करेगी और एक शांति समझौता होगा।
शांति संधि
सोवियत संघ ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान के चार द्वीपों पर कब्ज़ा कर लिया था, इसके बाद मास्को और टोक्यो इन द्वीपों पर अपने प्रभुत्व का दावा करते हैं। इस शांति संधि के मुताबिक रूस को दो द्वीप जापान को सौंपने थे, इसके बाबत शिंजो आबे और व्लादिमीर पुतिन ने कई दफा मुलाकात की थी।
जापान का भय
टोक्यो ने कहा कि रूस की सैन्य गतिविधियों से वह चिंतित है। रुसी राजनीतिज्ञों के मुताबिक उन्हें संदेह है कि जापान द्वीपों पर अमेरिकी मिसाइल की तैनाती करेगा। रुसी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि वे 25 दिसम्बर को सैनिकों और उनके परिवार को द्वीप पर निर्माण घरों में भेज देंगे। मंत्रालय ने कहा कि पिछले साल की तरह इस बार भी सैनिकों को सुविधाओं के साथ भेजा जायेगा। उन्होंने कहा कि सैन्य वाहनों और हथियारों के लिए द्वीप पर आधुनिक सुविधाएं मुहैया की गयी है।