अमेरिका के राज्य सचिव माइक पोम्पियो ने कहा कि “वह वांशिगटन के दो महान एशियाई देशो जापान और दक्षिण कोरिया के आगे बढ़ने के लिए मार तलाशने में मदद करेंगे।” दोनों देशों के बीच मजबूर मुआवजा विवाद गहराता जा रहा है। माइक पोम्पियो ने इस साथ दोनों देशों के विदेश मंत्रियों से बैंकाक में मुलाकात की थी।
जापान-दक्षिण कोरिया का विवाद
दक्षिण कोरिया के शीर्ष अदालत ने बीते वर्ष आदेश दिया कि जापानी कंपनियां द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान दक्षिण कोरिया के जबरन बनाये गए मजदूरों को मुआवजा दे। 4 जुलाई को इसके प्रतिकार में जापान ने उच्च तकनीकी उत्पादों के दक्षिण कोरिया को निर्यात पर सख्त पाबन्दी लगा दी थी।
रायटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के विभाग ने कहा कि “अमेरिका ने दोनों देशों को अपने मनमुटाव पर एक विराम समझौते को मुकम्मल करने के लिए प्रोत्साहित किया है।” पोम्पियो ने जापान और दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रियों के साथ स्वतंत्र की थी और बैंकाक में आसियान के सम्मेलन के इतर त्रिपक्षीय बैठक हुई थी।
पोम्पियो ने बुधवार को पत्रकारों से कहा कि “आगे बढ़ने के लिए मार्ग तलाशने को हम उन्हें प्रोत्साहित करेंगे। वे दोनों ही हमारे महान साझेदार है। उत्तर कोरिया के परमाणु निरस्त्रीकरण के प्रयास में दोनोई देश हमारे साथ करीबी से कार्य कर रहे हैं। इसलिए अगर हम दोनों देशों के लिए एक अच्छा स्थान तलाशने में उनकी मदद कर सकते है तो हम निश्चित ही अमेरिका की महत्वता को ढूंढ सकेंगे।”
दक्षिण कोरिया रचनात्मक कार्रवाई करे
राज्य सचिव के बयान पर जापान के चीफ कैबिनेट सेक्रेट्री योशिहिडे सुगा ने कहा कि टोक्यों लम्बे समय से अमेरिका के समक्ष अपने विचार और स्थिति को रखने की कोशिश कर रहा था। हम अमेरिका के साथ करीबी से सहयोग कर रहे हैं। हम समझ को सही करने के प्रयासों में सफलता हासिल करेंगे।”
उन्होंने कहा कि “वह मीडिया की विआम समझौते की रिपोर्ट्स से वाकिफ है लेकिन ऐसा अभी कुछ नहीं है। जापान और दक्षिण कोरिया के सम्बन्ध बेहद ही गंभीर स्थिति है और इसका कारण दक्षिण कोरिया के नकारात्मक कदम है। हमारी स्थिति में कोई बदलाव नहीं होगा, हम दक्षिण कोरिया को रचनात्मक कार्रवाई करने का आग्रह करना जारी रखेंगे।”
हालाँकि सीओल ने तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को खरिज किया है। जबरन बनाये गए मजदूरों के मामले को लेकर दक्षिण कोरिया के खिलाफ जापान अंतरराष्ट्रीय न्यायिक अदालत का रुख कर सकता है।