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    शिंजो आबे और मून जे इन

    जापान के प्रधानमन्त्री शिंजो आबे दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन के साथ सितम्बर में संयुक्त राष्ट्र सभा की बैठक के दौरान मुलाकात के लिए अनिच्छुक है। अमेरिकी सहयोगियों के बीच समबन्ध काफी तनावग्रस्त होते जा रहे हैं। आबे मून के साथ वार्ता नहीं करेगे जब तक सीओल द्वितीय विश्व युद्ध के मजदूरों और अन्य मामलो को सुलझा नहीं लेता है।

    जापान-दक्षिण कोरिया विवाद

    आबे और मून के बीच अक्टूबर में आसियान और एशिया पैसिफिक कोऑपरेशन में नवम्बर में मुलाकात होगी लेकिन इन  मौको पर भी दोनों नेता मुलाकात नहीं करेंगे। जापान और दक्षिण कोरिया के बीच साल 1965 से सम्बन्ध सामान्य हो गए थे। दोनों देशों के बीच युद्धबंदियों को मुआवजा देने को लेकर विवाद चल रहा है।

    जापान ने दक्षिण कोरिया को किये जाने वाले हाई टेक मैटेरियल्स के निर्यात पर पाबन्दी को मज़बूत कर दिया है, इसमें मेमोरी चिप और डिस्प्ले पैनल शामिल है। जापान के मुताबिक उनके एशियाई पड़ोसी राष्ट्र ने संवेदनशील पदार्थो का प्रबंधन अपर्याप्त किया है।

    जापान ने कहा कि “इस निर्णय ने अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया है क्योंकि मुआवजा का मामला साल 1965 की संधि के दौरान सुलझ गया था। इसके तहत द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दोनों राष्ट्रों के बीच कूटनीतिक संबंधो की स्थापना हुई थी। सन्केइ ने अज्ञात सूत्र के हवाले से कहा कि “राजनयिक संबंधों के सामान्य होने के बाद चीजे शायद अधिक बिगड़ चुकी है।”

    आबे और मून ने जी-20 के नेताओं के सम्मेलन के इतर जून में ओसाका में मुलाकात की थी। निर्यात को कम करने के लिए जापान कैबिनेट की मंज़ूरी लेने के लिए तैयारी कर रहा है। दक्षिण कोरिया को जापान 2 अगस्त को तथाकथित व्हाइट सूची से हटा देगा, जिसके तहत व्यापार पर बेहद कम पाबंदिय होती है।

    दक्षिण कोरिया ने इस योजना के खिलाफ प्रदर्शन किया है और कहा कि “यह दशको पुरानी अर्थव्यवस्था और सुरक्षा सहयोग को नजरंदाज कर रहा है।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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