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    अमेरिकी अधिकारी

    अमेरिका के वरिष्ठ राजनयिक ने बुधवार को कहा कि “जापान और दक्षिण कोरिया के बीच आर्थिक और राजनीतिक विवाद को खत्म करने के लिए अमेरिका को कर सकता है, वह करेगा।” अमेरिका अपने प्रमुख सहयोगियों के बीच मतभेदों पर सार्वजानिक तौर पर बोलने में हिचकिचा रहा था।

    जापान-दक्षिण कोरिया विवाद

    ईस्ट एशिया पालिसी के अमेरिका राजनयिक डेविड स्टिलवेल ने दक्षिण कोरिया की यात्रा की थी। राजधानी सीओल में स्टिलवेल ने पत्रकारों से कहा कि “उन्होंने इन हालतों को गंभीरता से लिया है हालाँकि वांशिगटन के अगले कदम के बाबत नहीं बताया है। मतभेदों को कम करने का असली दारोमदार दक्षिण कोरिया और जापान पर है।”

    उन्होंने कहा कि “हमें उम्मीद है कि जल्द ही इसका समाधान निकल जायेगा। उनके मतभेदों को सुलझाने के लिए अमेरिका जितने प्रयास कर सकता है, उतना करेगा।” बीते हफ्ते  स्टिलवेल ने जापान की एनएच के ब्रॉडकास्टर से कहा था कि “अमेरिका इन मतभेदों में दखल नहीं देगा और बातचीत के जरिये इस मामलो को हल करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।”

    द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान दक्षिण कोरिया पर जापान की हुकूमत रही और जापान के लिए दक्षिण कोरियाई नागरिकों को जबरन मजदूरी करवाई जाती थी। सीओल की अदालत ने जापानी कंपनियों से इन जबरन मजदूरों को मुआवजा देने का फैसला सुनाया था। इसके बाद तनाव काफी बढ़ गया और जापान ने हाई टेक मटेरियल के दक्षिण कोरिया में निर्यात पर पाबन्दी लगा दी थी।

    जापान ने दक्षिण कोरिया पर निर्यात किये गए संवेदनशील उत्पादों के प्रति कुप्रबंधन को कारण बताया था। जापानी मीडिया के मुताबिक, इन उत्पादों का अंत उत्तर कोरिया ने होता था। दक्षिण कोरिया ने इससे इंकार किया है।

    इससे वैश्विक उपभोक्ता परेशान होंगे

    एक सूत्र इ बताया कि “यह एप्पल, अमेज़न, डैल, सोनी और समस्त विश्व में अरबो उपभोक्ताओं को बुरी तरह प्रभावित करेगी।  अगर जापान सीओल को देशों की सफ़ेद सूची से हटा देता है तो इससे काफी दिक्कते उत्पन्न हो जायेंगे और अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया के बीच सबंध तल्ख़ हो जायेंगे।”

    दक्षिण कोरिया के वित्त मंत्री ने जापान से पाबंदियों को हटाने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि “जापान के उत्पादों पर निर्भरता को कम करने करने के लिए सरकार व्यापक योजनाओं पर कार्य कर रही है।”

    जापान की कैबिनेट के उपसचिव यासुतोशी निशिमुरा ने दक्षिण कोरिया से मजदूर मामले को सुलझाने के लिए उपयुक्त कदम उठाने की गुजारिश की थी। उन्होंने कहा कि “हमारे मत में कोई परिवर्तन नहीं है, हम दक्षिण कोरिया से अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत उपयुक्त और वक्त पर कदम उठाने की गुजारिश करते हैं।”

    जापानी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, हाइड्रोजन फ्लोराइड, जिसका इस्तेमाल रसायनिक हथियरो के उत्पादन में होता है, दक्षिण कोरिया को निर्यात करने के बाद वह उत्तर कोरिया को भेजा रहा है। दक्षिण कोरिया ने इसे ख़ारिज किया राष्ट्रपति मून ने इसे गंभीर चुनौती करार दिया था।

    दक्षिण कोरिया ने मंगलवार को पलटवार किया और राष्ट्रीय ख़ुफ़िया विभाग के प्रमुख ने संसदीय समिति के समक्ष कहा कि संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधो को अमल में लाने के लिए जापान बेहद निष्क्रिय और उदासीन था।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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