रक्षा मन्त्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि भारत जापान और दक्षिण कोरिया के साथ रक्षा और समुंद्री सहयोग को बढ़ाना चाहता है। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि “सीओल रक्षा वार्ता का उद्देश्य शान्ति और सहयोग का प्रचार करना है। मैंने जापानी प्रधान मंत्री शिंजो आबे और दक्षिण कोरिया के पीएम से मुलाकात की थी। मैंने दोनों देशो के रक्षा मंत्रियो से भी मुलाकात की और दोनों ही देश हमारे रणनीतिक साझेदार है।”
उन्होंने कहा कि “हम उनके साथ रक्षा सहयोग और समुंद्री सहयोग को बढ़ाना चाहते हैं मुझे महसूस होता है कि जापान और कोरिया भी भारत के साथ सहयोग को बढ़ाना चाहता है। रक्षा सहयोग से सम्बंधित वार्ता अच्छी जा रही है। वे हमारे देश में निवेश भी करना चाहिए और भारत सरकार उन्हें अधिकतम सुविधाएं मुहैया करेगी। अगर निवेश होता है तो यह मेक इन इंडिया के लिए अच्छा होगा।”
सिंह ने कहा कि “उन्हें इस मामले पर जापान और कोरियाई नेताओं की तरफ से आतंकवाद के खात्मे के बाबत सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। वे सभी आतंकवाद को जड़ से खत्म करना चाहते हैं।” इंडो पैसिफिक में शान्ति और स्थिरता की जरुरत पर सिंह ने कहा कि “क्षेत्र सुरक्षित होना चाहिए और इस क्षेत्र के देशो को विकसित होना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि “भारत सोचता है कि दुनिया में देशो के बीच तनाव नहीं होना चाहिए। यह समबन्ध सामान्य होने चाहिए क्योंकि यह न सिर्फ दोनों देशो को बल्कि समस्त राष्ट्र को फायदा पहुचाएंगे।” भारत और दक्षिण कोरिया ने शुक्रवार को दो समझौतों पर हस्ताक्षर किये थे।
रक्षा शैक्षिक विनिमय और एक दुसरे की नौसेना से लॉजिटिकल में विस्तार पर दो समझौतो पर दस्तखत किये हैं। यह समझौते भारत-दक्षिण कोरिया के रक्षा सहयोग के विस्तार करने में मददगारी होगा। सिंह बुधवार से दक्षिण कोरिया की तीन दिवसीय यात्रा पर है और इसका मकसद द्विपक्षीय रक्षा और सुरक्षा संबंधो का विस्तार करना है।