जापान ने मंगलवार को उत्तर कोरिया पर लागू प्रतिबंधों को दोई वर्ष अधिक बढ़ाने का निर्णय लिया है। इससे जापान का मकसद उत्तर ककोड़ा पर परमाणु निरस्त्रीकरण करने के लिए दबाव बनाना था और लम्बे समय से जारी जापानी नागरीकों के अपहरण के मसले को सुलझाना था।
जापान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, जापान ने यह प्रतिबन्ध द्विपक्षीय आयात और निर्यात पर और उत्तर कोरिया के पंजीकृत जहाजों की जापानी जलमार्ग में प्रवेश पर लगाए हैं। साथ ही उत्तर कोरिया के बंदरगाह पर रुकने वाले जहाजों पर भी प्रतिबंध लगाए हैं।
साल 2006 में जापान ने पहली बार उत्तर कोरिया पर प्रतिबन्ध लगाए थे जब कम्युनिस्ट राष्ट्र ने पहली दफा परमाणु परिक्षण किया था। हाली समय में टोक्यो ने कई दफा प्रतिबंधों को बढ़ाया है। यूएन सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों के तहत ही जापान ने पियोंगयांग पर प्रतिबन्ध लगाए हैं।
जापान ने उत्तर कोरिया पर उसके 17 नागरिकों के अपहरण का आरोप लगाया है और जापानी नागरिकों के लापता होने पर भी टोक्यों ने पियोंयांग को संदिग्ध बताया है। हाल ही में जापान राष्ट्रपति शिंजो आबे ने उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन के साथ परमाणु निरस्त्रीकरण और जापानी नागरिकों के गायब होने के मामले पर चर्चा करने की इच्छा व्यक्त की थी।
हाल ही में डोनाल्ड ट्रम्प और किम जोंग उन के बीच हनोई में दुसरे शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ था। यह बिना किसी समझौते के समाप्त हो गया था। इस दौरान कोई संयुक्त बयान जारी नहीं किया गया था। प्रतिबंधों को हटाने के बाबत दोनों नेताओं में सहमति नहीं बनी थी।