जापान के प्रधानमन्त्री शिंजो आबे ने सोमवार को कहा कि वह उत्तर कोरिया के साथ संयुक्त अविश्वास की धारणा को तोडना चाहते हैं और उत्तर कोरिया के नेता के साथ मुलाकात करना चाहते हैं, ताकि दोनों राष्ट्रों के मध्य कूटनीतिक सम्बन्ध बहाल हो सके। संसद के आरम्भ पर भाषण देते हुए शिंजो आबे ने चीन और जापान के संबंधों को भी एक नए आयाम पर ले जाने की बात कही और विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था के बुनियादी ढांचों में सुधार के लिए रिकॉर्ड बजट की प्रतिज्ञा ली।
शिंजो आबे ने कहा कि “मैंने कभी अविश्वास की दीवार को तोड़ने के लिए आये अवसरों को गवाया नहीं है, मैं खुद उत्तर कोरिया ने नेता किम जोंग उन से मुलाकात करना चाहूँगा। ताकि परमाणु और मिसाइल मसलों का भी समाधान हो सके और अपहरण मामले का भी हल निकल सके।”
जापानी प्रधानमन्त्री ने उत्तर कोरिया के शासक से मुलाकात के लिए कोई समयसीमा नहीं दी है। हाल ही में डोनाल्ड ट्रम्प और किम जोंग उन आगामी माह दूसरे शिखर सम्मेलन की तैयारियों में जुटे हैं। उन्होंने कहा “पूर्व में हुई घटनाओं को किनारे करते हुए मेरा मकसद उत्तर कोरिया के साथ संबंधों को सामान्य करना है। उत्तर कोरिया के विभाग ने जापानी प्रधानमन्त्री से मुलाकात की कोई सार्वजानिक इच्छा व्यक्त नहीं की है।
चीन पर जापानी प्रधानमन्त्री शिंजो आबे ने कहा कि बीते वर्ष चीन की उनकी यात्रा के बाद सम्बन्ध वापस पटरी पर आ गए हैं। साल 2019 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पहली अधिकारिक जापानी यात्रा की संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि “मैं अपने पड़ोसी मुल्क के साथ नई कूटनीतिक शुरुआत करना चाहता हूँ, ताकि उत्तरी पूर्वी एशिया में स्थिर शांति और समृद्धि बरक़रार रहें।
जापान और चीन के साल 2012 में रिश्ते ख़राब हो गए थे, जब टोक्यों में स्थित विवादित द्वीप पर चीन ने अपना दावा किया था। इसके बाद किसी देश ने रिश्तों को सुधारने का कोई प्रयास नहीं किया था। हालांकि जापान के कारोबारी समुदाय ने शिंजो आबे से चीन के साथ सम्बन्ध सुधारने की दरख्वास्त की थी।
हाल ही में जी-20 की बैठक की मेजबानी जापान ने की थी और साल 2020 में आयोजित रियो ओलंपिक में चीनी राष्ट्रपति के शरीक होने की आशा है।