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    जापानी सम्राट

    जापान के सम्राट अकिहितो 30 अप्रैल 2019 को अपनी राजगद्दी को छोड़ेंगे। पिछले करीब दो शताब्दियों में अपनी इच्छा से पद का त्याग करने वाला अकिहितो पहला जापानी सम्राट बन जाएगा। अकिहितो के पद छोड़ने का निर्णय इम्पीरियल हाउस काउंसिल की बैठक में किया गया।

    शुक्रवार को जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने इसकी घोषणा की। जापानी सम्राट अकिहितो के पद त्यागने के बाद उनके बेटे क्राउन प्रिंस नरूहितो उनकी जगह पर पदभार संभालेंगे।

    वैसे तो पहले से ही नरूहितो अपने पिता के कुछ कर्तव्यों को ग्रहण कर चुके है। 30 अप्रैल 2019 को अकिहितो के बाद नरूहितो 126 वें जापानी सम्राट बनेंगे।

    जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए पूरे प्रयास करेगी कि जापान के लोग सम्राट अकिहितो के गद्दी त्यागने और शहजादे नरूहितो के सिंहासन संभालने का जश्न मना सके।

    साथ ही कहा कि नागरिकों के आशीर्वाद से इस पद को आसानी से आगे बढ़ाया जा सकेगा। नरूहितो 1 मई 2019 से अपनी भूमिका का निर्वहन करेंगे।

    अगस्त 2016 में अकिहितो ने कहा था कि उनकी उम्र काफी ज्यादा हो गई है। उनके शरीर की फिटनेस उन्हें भविष्य में जापानी सम्राट के कर्तव्यों को पूरा करने के लिए मुश्किल बना सकती है।

    अकिहितो के भाषण के बाद जापानी संसद कानून में एक ऐतिहासिक विधेयक पारित कर चुकी है। इस विधेयक में कहा गया कि  गर वे इसे चुनते है तो 83 वर्षीय अकीहितो राजगद्दी का त्याग कर सकते है।

    स्वास्थ्य संबंधी कारणों से करेंगे पद का त्याग

    अकिहितो का जन्म दिसंबर 1933 में हुआ था। हाल के वर्षों में अकिहितो को स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। अकिहितो की हृदय शल्य चिकित्सा और कैंसर की बीमारी का भी उपचार किया गया था। ये बात उन्होंने साल 2016 के भाषण के दौरान संबोधित करते हुए कही थी।

    अकिहितो ने कहा था कि मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं है। मेरा फिटनेस स्तर धीरे-धीरे कम हो रहा है, मुझे चिंता है कि भविष्य में मेरे कर्तव्यों को पूरा करना मुश्किल हो सकता है।

    दूसरे विश्व युद्ध से है नाता

    अकिहितो हिरोहितो जापान

    आपको बता दें कि सम्राट अकिहितो के पिता हिरोहितो दूसरे विश्व युद्ध के समय जापान के सम्राट थे। उस समय जापान ने चीन और दक्षिण एशिया के कई देशों पर भारी जुल्म किये थे। दूसरा विश्व युद्ध हारने के बाद अकिहितो ने अपने पिता द्वारा किये गए जुल्मों को गलत माना था।

    इस सन्दर्भ में अकिहितो ने साल 1992 में चीन का दौरा भी किया था। इस दौरान भी सम्राट ने द्वितीय विश्व युद्ध के कारनामों को गलत माना हालाँकि उन्होंने इसके लिए माफ़ी नहीं मांगी थी।