कल भारतीय विदेश मंत्रालय ने अचानक घोषणा की, कि डोकलाम में भारत और चीन की सेनाओं ने पीछे हटने का फैसला किया है। और इस पर दोनों पक्षों के बीच हुई बातचीत से फैसला लिया गया है।
जाहिर है चीन ने सिर्फ दो दिन पहले ही भारत को डोकलाम विवाद पर चेताया था, और कहा था कि भारत पहले अपने भीतरी मामलों को सुलझाए और बाद में दूसरे देशों से सीमा विवाद की बात करे। इससे यह सवाल उठता है कि अचानक चीन ने पीछे हटने का फैसला कैसे किया?
विशेषज्ञों की माने तो इसके बहुत से कारण हो सकते हैं। पहला यह कि अगले सप्ताह चीन में ब्रिक्स सम्मलेन होने जा रहा है। इसमें भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शिरकत करेंगे। चीन को इस बात का दर था कि हैं डोकलाम विवाद को लेकर नरेंद्र मोदी इस सम्मलेन में आने से मना ना कर दें। अगर मोदी चीन नहीं जाते, तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चीन की काफी बदनामी होती। ब्रिक्स में नरेंद्र मोदी की हिस्सेदारी बहुत महत्वपूर्ण हो सकती है।
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चीन का पीछे हटने का दूसरा कारण यह भी हो सकता है कि पिछले कुछ दिनों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी किरकिरी हुई है। एक और चीन कई एशियाई देशों से सम्बन्ध बिगाड़ रहा है वहीँ चीन के व्यापार का स्तर भी लगातार गिर रहा है। भारत में चीनी कंपनियों के अधिकारी ने खुलासा किया था कि पिछले सिर्फ दो महीनों में भारत में चीनी कंपनियों की कमाई में लगभग 30 फीसदी की कमी आ गयी है। अगर भारत में चीनी कंपनियों का स्तर गिरता रहा, तो चीन को आर्थिक तौर पर बहुत बड़ा घाटा होगा, क्योंकि भारत चीन का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
इसके अलावा भारत से विवाद चीन को आर्थिक गलियारे में भी परेशानी दे सकता है। चीन के रवैये को देखते हुए भारत ने हिन्द महासागर में अपना दबदबा बनाना शुरू कर दिया है। चीन को पता है कि अगर भारत चाहे तो हिन्द महासागर में चीन की उपस्थिति को पूरी तरह से ख़तम कर सकता है। चीन जाने वाला कच्चा तेल मुख्य रूप से हिन्द महासागर से चीन जाता है। अगर भारत चाहे तो हिन्द महासागर से चीन की सप्लाई पूरी तरह से बंद कर सकता है।
सरल भाषा में बात करें तो चीन को पता है कि अगर एशिया में उसे आर्थिक तौर पर मजबूत होना है, तो उसे भारत से अच्छे सम्बन्ध रखने होंगे।