एक जुलाई को देश में जीएसटी लागू किया गया था। इतने महीने बीत जाने के बाद भी जीएसटी यानि वस्तु एवं सेवा कर को लेकर लोगों के मन में संशय बरकरार है। आप को जानकारी के लिए बतादें कि कुछ दुकानदार, होटल, कंपनियां और अन्य कारोबार वाले जनता की इस संशय का फायदा फर्जी जीएसटी बिल के जरिए बेहिचक उठा रहे हैं। हांलाकि ये बिल्कुल गलत है।
इस मामले में यदि आप को लगता है कि कोई दुकानदार अथवा कारोबारी आपको फर्जी जीएसटी बिल थमा रहा है या फिर जीएसटी के नाम पर अवैध वसूली कर रहा है, तो आप स्वयं ही फर्जी जीएसटी बिल की पहचान कर इसकी शिकायत कर सकते हैं।
आइए जानें, कैसे पहचानें फर्जी जीएसटी बिल और कहां करें इसकी शिकायत…
देश के कुछ दुकानदार ऐसे हैं जो अपने कस्टमर्स से जीएसटी तो वसूल रहे हैं लेकिन वो जीएसटी चार्ज सरकार को नहीं जमा कर रहे हैं। दुकानदारों को जीएसटी के तहत पंजीकरण कराना होता है। इसके लिए GSTIN नंबर लेने की जरूरत होती है। लेकिन जिस किसी भी बिल पर GSTIN नंबर लिखा होता है, उसमें सीजीएसटी और स्टेट जीएसटी को दिखाना अनिवार्य होता है।
आपको बता दें कि जिन कारोबारियों को वार्षिक टर्नओवर 20 लाख रूपए से कम है उन्हें GSTIN नंबर लेने की कोई आवश्यकता नहीं है।
जम्मू—कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड,सिक्क्मि, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और अरूणाचल प्रदेश के कारोबारियों के लिए सालाना टर्नओवर की सीमा मात्र दस लाख रूपए ही निर्धारित की गई है।
आप को बता दें कि जीएसटी लागू होने के बाद भी कुछ कारोबारी और दुकानदार VAT/TIN और सेंट्रल सेल्स टैक्स नंबर वाली पुरानी पर्चियों का ही इस्तेमाल कर रहे हैं। कुछ दुकानदारों की यह शिकायत आई है कि वो बिना GSTIN नंबर का उल्लेख किए तथा सीजीएसटी और स्टेट जीएसटी नंबरों को उल्लेख किए ही अपने ग्राहकों से जीएसटी वसूलने का काम कर रहे हैं।
यदि कोई कस्टमर इन करोबारियों से जीएसटी बिल की शिकायत करता है तो कहते हैं इन्होंने GSTIN नंबर के लिए अर्जी दाखिल की है लेकिन अभी इसकी स्वीकृति नहीं मिली है। ऐसे में ये बात अब साफ हो चुकी है कि जिस किसी भी जीएसटी बिल पर यदि GSTIN का ओरिजनल या फिर प्रॉविजनल नंबर नहीं है, उस जीएसटी बिल की सही से जांच कर लें।