भारत की आज़ादी महानायक महात्मा गाँधी की प्रतिमा को घाना की दिग्गज यूनिवर्सिटी से हटा दिया गया है। ख़बरों के मुताबिक उनके ब्लैक अफ्रीकियों के खिलाफ होने की शिकायतें मिली थी। भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने घाना की यूनिवर्सिटी में दो वर्ष पूर्व वैश्विक शांति दूत की प्रतिमा का अनावरण किया था। इस प्रतिमा का अनावरण दो राष्ट्रों के मध्य संबंधों की निशानी थी।
यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों ने याचिका दाखिल कर इस प्रतिमा को हटाने की मांग की और महात्मा गाँधी के लिखे पत्रों के हवाले से दावा किया कि “भारतीय काले अफ्रीकियों से अधिक श्रेष्ठ हैं।” यूनिवर्सिटी के लोगों ने बताया कि इस प्रतिमा को प्रशासन ने रातो रात हटा लिया था।
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प्रदर्शनकारियों की राय
यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ओबदेले कम्बोन ने बताया कि इस प्रतिमा को हटाने का मुद्दा हमारी आत्म सम्मान से जुड़ा हुआ था। यूनिवर्सिटी के प्रशासन ने इस मसले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था। घाना के विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह विश्वविद्यालय का आंतरिक निर्णय हैं।
घाना की पूर्व सरकार ने कहा कि इस प्रतिमा पर विवाद को खत्म करने के लिए, किसी अन्य स्थान पर स्थापित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत के साथ घाना की घनिष्ठ मित्रता है।
साल 2016 में घाना यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने कैंपस से महात्मा गाँधी प्रतिमा को हटाने के लिए कहा था। उन्होंने कहा था कि महात्मा गाँधी की पहचान जातिवाद करने वाले के रूप में हैं। उन्होंने महात्मा गाँधी के एक लेख के अधर पर कहा कि उनके मुताबिक हम अफ्रीकी ‘अफ्रीका के मूल निवासी असभ्य’ और ‘काफिर’ यानी ‘ब्लैक अफ्रीकियों के लिए उपयोग होने वाली जाति’ हैं।
मलावी में भी प्रदर्शन
हाल ही में मलावी की अदालत ने प्रदर्शन के कारण महात्मा गाँधी की प्रतिमा का कार्य रुकवा दिया है। सूत्रों के मुताबिक मलावी की राजधानी ब्लान्त्य्रे में महात्मा गाँधी की प्रतिमा तैयार हो रही थी। प्रदर्शनकारियों ने भारतीय स्वतंत्रता सेनानी महात्मा गाँधी पर जातीय भेदभाव का आरोप लगाया था।