कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की सात दिवसीय भारत यात्रा के दौरान आखिरकार पीएम नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को जस्टिन व उनके परिवार से मुलाकात की। जस्टिन व मोदी एक-दूसरे के गले भी मिले। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के साथ बैठक के बाद मोदी ने अपने संदेश में साफ संकेत दिए कि हमारे देश की सार्वभौमिकता, एकता और अखंडता को चुनौती देना बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
मोदी ने कहा कि जो लोग साम्प्रदायिक भावनाओं का इस्तेमाल करके अलगाववाद फैला रहे है उन्हें सहन नहीं किया जा सकता है। मोदी का इशारा कनाडा सरकार द्वारा खालिस्तान समर्थकों पर नरमी बरतने के ऊपर था।
मोदी व जस्टिन की बैठक के बाद संयुक्त बयान में कहा गया कि “भारत और कनाडा के बीच आतंकवाद और हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए आपसी सहयोग का फ्रेमवर्क तैयार किया जाएगा। यह ढांचा भारत और कनाडा की संप्रभुता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए मौलिक सम्मान पर आधारित है।
बयान में कहा गया कि दोनों देश अलकायदा, आईएसआईएस, हक्कानी नेटवर्क, जेएएम, बब्बर खालसा इंटरनेशनल और अंतर्राष्ट्रीय सिख यूथ फेडरेशन जैसे आतंकवादी समूहों के खिलाफ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे।
द्विपक्षीय बैठक के बाद मोदी ने जस्टिन को संबोधित करते हुए कहा कि आपने भारत की बहुलता व विविधता को देखा है। आतंकवाद और उग्रवाद भारत और कनाडा के लिए खतरा है। अलगाववादी विभाजन के लिए दोनों देशों में कोई स्थान नहीं होना चाहिए। द्विपक्षीय बैठक के बाद दोनों पक्षों ने छह समझौते पर हस्ताक्षर किए जिनमें ऊर्जा सहयोग समझौता भी शामिल था।
जस्टिन ने आर्थिक संबंधों के आधार पर भारत को प्राकृतिक साथी और एक विश्वसनीय दोस्त कहा है। दोनों देशों ने आर्थिक संबंध व व्यापारिक निवेश को बढाने पर सहमति भी प्रकट की। दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान, उत्तर कोरिया और भारत-प्रशांत के अलावा मालदीव संकट की स्थिति पर भी चर्चा की।
इसके अलावा रोहिंग्या मामले को लेकर की बात की। इसमें कहा गया कि कनाडा और भारत विस्थापित लोगों की स्वैच्छिक, सुरक्षित और स्थायी वापसी का आह्वान करते है। साथ ही इस प्रक्रिया में कानून और व्यवस्था सुनिश्चित करने और मानव गरिमा के सम्मान के महत्व पर बल देते है।