कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की सात दिवसीय भारत यात्रा से भारत-कनाडा संबंधों को सक्रियता करने में मदद मिलेगी। इससे दोनों देशों के बीच नागरिक परमाणु सहयोग, अंतरिक्ष, रक्षा, ऊर्जा और शिक्षा सहित व्यापार और सामरिक संबंधों को बढ़ाने पर चर्चा होगी। भारत और कनाडा के पास साझा लोकतांत्रिक मूल्यों व बड़ी संख्या में कनाडा में रहने वाले भारतीय समुदाय की वजह से लंबे समय तक द्विपक्षीय संबंध है।
भारतीय समुदाय का बड़ा हिस्सा कनाडा में रहता है। कनाडा में बड़ी संख्या में सिख समुदाय रहते है। ये कनाडा में अलग सिख राज्य की स्थापना का कथित तौर पर समर्थन कर रहे है।
कनाडा में करीब पांच लाख भारतीय लोग करीब 40 प्रतिशत जनसंख्या का गठन करता है। कनाडाई राजनीति में भी भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व रहता है। साल 1984 में सिख विरोधी हिंसा की वजह से नई दिल्ली में हजारों सिख लोगो की हत्या हो गई थी। जिसके बाद बडी संख्या में सिख लोग कनाडा में बसने पहुंचे।
कैनेडियन केबिनेट के कुछ सदस्यों की अलग सिख राज्य बनाने की मांग को कनाडा सरकार ने अस्वीकार कर दिया है। साल 2017 में कनाडा और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार करीब 8.4 अरब डॉलर था। भारत व कनाडा के बीच में आर्थिक संबंधों में मजबूती बनी हुई है। दोनों देशों के बीच में बडी संख्या में व्यापार होता है।
मेक इन इंडिया,’ ‘2022 तक सभी के लिए सस्ती हाउसिंग’ और ‘स्मार्ट सिटीज’ जैसी विशिष्ट भारतीय योजनाएं कनाडा और भारतीय कारोबारी उद्योगों के बीच सहयोग के लिए महत्वपूर्ण व्यावसायिक अवसरों की पेशकश करते है।
कनाडा में अतिरिक्त ऊर्जा संसाधनों की मौजूदगी है जो भारत टैप करता है। तेल और गैस की कीमतों में वर्तमान रुझान कनाडा को भारतीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक आर्थिक रूप से आकर्षक विकल्प बनाती है। कनाडा ने साल 1954 में भारत के पहले परमाणु रिएक्टर सीरस को यूरेनियम की आपूर्ति करके भारत के परमाणु विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
ऊर्जा महाशक्ति के रूप में कनाडा ने भारत की जल रिएक्टर प्रौद्योगिकी विकास में भी सहयोग किया। दुनिया के शीर्ष दो यूरेनियम निर्यात देशों में से एक होने के नाते भारत कनाडा से इसकी मांग करता है।
कनाडा के साथ समुद्री मार्ग के जरिए भी भारत व्यापार करता है। भारत और कनाडा दोनों ही भारत-प्रशांत क्षेत्र में एक स्थिर सुरक्षा ढांचा बनाने के लिए संसाधनों का सदुपयोग करते है।