ब्रिटिश सरकार के मंत्री जलियांवाला बाग हत्याकांड की शताब्दी 13 अप्रैल की तारीख को अफसोसजनक प्रतिक्रिया जाहिर करने के लिए इस्तेमाल करेंगे लेकिन आधिकारिक माफ़ी अभी भी बहस का मसला बनी हुई है। 13 अप्रैल 1919 को आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 379 और अनाधिकारिक 1000 लोगो को अमृतसर में ब्रिगेडियर जनरल रेगीनाल्ड डायर के आदेश पर गोलियों से भून डाला था।
टेलीग्राफ के मुताबिक माफ़ी की मामले पर 14 फरवरी को मेघनाद देसाई ने ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे को पत्र लिखा था “हाउस ऑफ कॉमन में दिया गया बयान माफ़ी से जुड़ा हुआ नहीं था।” घोषणा के अनुसार जलियांवाला बाग़ हत्याकांड पर वेस्टमिनस्टर हॉल डिबेट मंगलवार को दोपहर 2:30 से 4 बजे तक होगी। इस बहस की शुरुआत बॉब ब्लैकमैन करेंगे। लंदन के पूर्वी-पश्चिमी भारतीय बहुसंख्यक संसदीय क्षेत्र से ब्लैकमैन हैं।
द संडे टाइम्स के मुताबिक, विदेश विभाग के मंत्री मार्क फील्ड सरकार की तरफ से प्रतिक्रिया देंगे। फील्ड ने कहा कि “आधुनिक द्विपक्षीय संबंधों की मदद करने के लिए आधिकारिक तौर पर गहरी अफसोसजनक प्रतिक्रिया जाहिर करना महत्वपूर्ण है।”
वेस्टमिंस्टर हॉल में बहस और अन्य समारोह आयोजित होंगे जो हॉउस ऑफ़ कॉमन्स के चैम्बर से अलग होगा। रविवार को मेघनाद देसाई ने अखबार से कहा कि “मैं समझ सकता हूँ कि ब्रितानी सरकार एक आधिकारिक माफीनामे से क्यों बच रही है , क्योंकि इससे उस नरसंहार में मारे बेक़सूर लोगो के परिवार मुआवजे की मांग करेंगे।
उन्होंने कहा कि “उनकी पत्नी और जलियांवाला बाग़ 1919 की लेखिका ने असल में मारे गए लोगो की संख्या से अधिक लोगो को खोज निकाला था। उन्होंने एक पूरी सूची तैयार की थी और वह 547 लोगो की थी। शायद इसमें 1000 लोग मारे गए थे, कौन जानता है ?”
भारत से किश्वर देसाई ने टेलीग्राफ से कहा कि “मैं यकीन करती हूँ की ब्रितानी सरकार के लिए वक्त आ गया है जब वह भारत और ब्रिटेन के बीच संबंधों की असल प्रकृति को प्रदर्शित करेगी। उन्हें मानना ही होगा कि यह हत्याकांड एक गंभीर जख्म बनकर बरक़रार था और इस भेदभावी कार्य के खिलाफ बोलने का वक्त आ गया है। संजीदगी से एक माफीनामा यह सुनिश्चित कर एक सन्देश देगा कि आधुनिक ब्रिटेन 100 वर्ष पूर्व के ब्रिटेन से अलग था।”
उन्होंने कहा कि “आज के ब्रिटेन और उसके नेताओं के लिए भारत के साथ संबंधों का मूल्य है और जनरल आर डायर या लेफ्टिनेंट गवर्नर सर मिचेल ओ डवयर और उनके जैसे अन्य पूर्व से सम्बंधित थे।”
ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने साल 2013 में अमृतसर के जलियावाला बाग की यात्रा की थी और उन्होंने इसे बेहद शर्मनाक आयोजन करार दिया था। उन्होंने माफी मांगने से इन्कार करते हुए कहा कि जो वास्तव में हुआ है उसकी जानकारी हासिल करना, बीते को दोबारा दोहराने के लिए, जो हुआ उसके लिए उसकी सम्मान और समझ जरुरी है।