साल 2015 के जलवायु परिवर्तन समझौते के बाद 200 राष्ट्र के प्रतिनिधि पोलैंड में आयोजित बैठक में शरीक हुए हैं। यह बैठक दो हफ़्तों तक चलेगी और इसमें पर्यावरण से सम्बंधित चेतावनी और जलवायु परिवर्तन से निपटने के बाबत बातचीत की जाएगी। यह वार्ता साल 2015 में हुए ऐतिहासिक समझौते के बाद हुई है जिसमे वैश्विक तापमान को दो डिग्री सेल्सियस से कम रखने का लक्ष्य निर्धारित किया था।
जलवायु परिवर्तन की पहली बैठक के दौरान भारत ने कहा कि अपने लिए तय गयी समय सीमा से पूर्व भारत अपने जलवायु परिवर्तन से सम्बंधित लक्ष्यों को हासिल कर लेगा। विकसित देशों को भी अपने दायित्वों का निर्वाह करना होगा, विकासशील देशों को तकनीकी और वित्तीय सहायता मुहैया करनी होगी। इस मदद से भारत जो अभी प्रयास कर रहा है उससे बेहतर कार्य कर पायेगा।
"इस पीढ़ी के नेताओं को उनकी जलवायु कार्रवाई के द्वारा आंका जायेगा | जलवायु सम्मेलन #COP24 में मैंने उनसे राजनीतिक इच्छा और निर्भीक दूर दर्शी नेतृत्व दिखाने का अनुरोध किया |" – @antonioguterres #ClimateAction https://t.co/yNzQ8eiP9A pic.twitter.com/X4cKR5jtvV
— UNHindi (@UNinHindi) December 4, 2018
पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन ने सम्मेलन में कहा कि अपनी तय समय सीमा से पूर्व हम सभी लक्ष्यों को हासिल कर लेंगे, इस पर कोई प्रशन नहीं उठता। उन्होंने कहा कि हम अपनी उम्मीद से बढ़कर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत के लिए जलवायु परिवर्तन मात्र एक तकनिकी समस्या नहीं है बल्कि इससे हमारा नैतिक मसला भी जुड़ा है।
संयुक्त राष्ट्र #COP24 जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे एंतोनिया गुतरेश ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनको बताया है कि प्राचीन हिन्दू धर्म ग्रंथों, वेद शास्त्रों में निहित प्रेरणा से ही उन्होंने जलवायु को स्वच्छ बनाये रखने का दृढ़ संकल्प लिया है। pic.twitter.com/Wi7Ij5pPjC
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साल 2015 में हुए पेरिस जलवायु संधि के वक्त भारत भी इस सम्मेलन में शामिल था और जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध लड़ाई लड़ने की प्रतिबद्धता दिखाई थी। इसमें से एक प्रमुख सा 203 तक 33 से 35 प्रतिशत उत्सर्जन को कम करना था। भारत ने वादा किया था कि साल 2030 तक इसकी बिजली का 40 फीसद उत्पादन अक्षय स्त्रोतों से पूर्ण होगा।
पर्यावरण सचिव सी के मिश्र ने कहा कि अपने तीसरे लक्ष्य कार्बन सिंक में भारत हालिया प्रयास में थोड़ा पिछड़ रहा है, लेकिन कई इलाकों में वनरोपण का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आगामी वर्षों में यह कार्य दोगुनी तेज़ी से शुरू हो जायेगा और एनी दो लक्ष्यों पर जल्द ही हम पहुंच जायेंगे।
हाल ही में अमेरिकी स्थित इंस्टिट्यूट फॉर एनर्जी इकनोमिक एंड फाइनेंसियल एनालिसिस ने आंकड़े जारी कर बताया कि भारत 40 फीसदी अक्षय स्त्रोतों से बिजली उत्पादन के लक्ष्य को 2020 में ही हासिल कर लेगा, जो असल में भारत को साल 2030 में हासिल करना था।
इंस्टिट्यूट फॉर एनर्जी इकनोमिक एंड फाइनेंसियल एनालिसिस के मुताबिक भारत की थर्मल ऊर्जा क्षमता 226 गीगावाट है। साल 2019 तक भारत की ईंधन के इस्तेमाल करने में 40 फीसदी तक की कमी आ जायेगी। इस समय सीमा में भारत की जनसंख्या में 18 फीसदी वृद्धि हुई है और जीडीपी लगभग दोगुनी हो गयी है।