संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ऐंटोनियों गुटेरेस ने रविवार को ऑकलैंड में प्रधानमंत्री जासीना एर्डरन के साथ मीडिया को सम्बोधित करते हुए कहा कि “जलवायु परिवर्तन के हालात बिगड़ते जा रहे हैं।” अलजजीरा से अंटोनियों गुटेरेस ने कहा कि “जलवायु परिवर्तन हमारी सोच से काफी तीव्रता से भाग रहा है। बीते चार वर्ष सबसे अधिक गर्म दर्ज हुए हैं।”
खतरे में पर्यावरण
उन्होंने कहा कि “सभी देश साल 2015 में की गई पेरिस प्रतिबद्धताओं का पालन नहीं किया है जिसके तहत वैश्विक तापमान को दो डिग्री सेल्सियस से नीचे रखना था। पेरिस समझौते के उद्देश्य को हम हासिल करने के मार्ग की तरफ अग्रसर नहीं हैं।”
महासचिव ने कहा कि “चिंताजनक यह है कि हालात अधिक बदतर होते जा रहे है। राजनीतिक इच्छाशक्ति अब धुंधली होती जा रही है। ग्रहों पर आधारित रिपोर्ट के मुताबिक, हमें जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण की तबाही को रोकने के लिए पर्याप्त कदम उठाने की जरुरत है।”
कार्बन का स्तर बढ़ा
महासचिव तीन दिवसीय ऑकलैंड की यात्रा पर है, जहां वह वह जलवायु परिवर्तन के वैश्विक खतरे को रेखांकित करेंगे।यह यात्रा के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री जासीना एर्डरन की सराहना की थी क्योंकि उन्होंने हाल ही में संसद में साल 2050 तक न्यूजीलैंड को कार्बन मुक्त बनाने का प्रस्ताव पारित किया था।
पेरिस में साल 2015 में हुए ऐतिहासिक समझौते के बाद हुई है जिसमे वैश्विक तापमान को दो डिग्री सेल्सियस से कम रखने का लक्ष्य निर्धारित किया था। तापमान में वृद्धि कोयला, गैस और तेल से होता है। यह समझौता साल 2020 में लागू होगा। विश्व में सबसे ज्यादा प्रदूषण उत्सर्जन करने वाले देश चीन, अमेरिका, यूरोपीय संघ और भारत है।
जी-20 देशों के सदस्यों में से 19 मज़बूत अर्थव्यवस्थाओं ने पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। अमेरिका ने डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद इस समझौते से अलग होने का ऐलान कर दिया था। अमेरिका एकमात्र ऐसा देश है जिसने इस समझौते से खुद को बाहर किया है।