संयुक्त राष्ट्र की जलवायु परिवर्तन सम्मेलन पर हुई बैठक के शुरूआती संबोधन में भारत के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया को अब कार्य करने का सुझाव दिया है। यूएन की बैठको में शामिल होने के लिए 19 सितम्बर से प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की यात्रा पर है।
यूएन के सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमन्त्री ने दोहराया कि विश्व पर जलवायु परिवर्तन का गहरा असर पड़ रहा है। हाल ही में, 150 देशो के छात्रो और नागरिको ने प्रदर्शन करने का निर्णय लिया था। पीएम मोदी ने विश्व से जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए व्यावहारिक परिवर्तन करने करने का आग्रह किया था और सुरक्षित वातावरण की तरफ बढ़ने के लिए ग्लोबल पीपल मूवमेंट आवाहन किया था।
राष्ट्र को संबोधित करते हुए उन्होंने ईंधन रहित पदार्थो से 175 गीगावाट ऊर्जा के उत्पादन का ऐलान किया था। उन्होंने सम्मेलन में साल 2022 तक ऊर्जा उत्पादन की क्षमता को 450 गीगावाट करने का संकल्प लिया है। भारत सौर पैनल को यूएन की ईमारत की छत पर स्थापित करने का ऐलान करने वाला है। इन पैनल का पूरा खर्चा भारत ने उठाया है।
संबोधन के दौरान प्रधानमन्त्री ने वैश्विक चिंताओं को साझा किया है, इसमें तापमान में वृद्धि शामिल है। रिपोर्ट के मुताबिक, इसका उद्देश्य वैश्विक तापमान को पेरिस संधि के तहत दो डिग्री सेल्सियस के नीचे रखना है जिसे 1.5 डिग्री रखना तय किया गया था।
प्रधानमन्त्री ने वैश्विक ताकतों से एक गठबंधन में शामिल होने का आग्रह किया है जो आपदा रोधी ढांचों को मुहैया करेंगे। उन्होंने भारत में ट्रासपोर्ट सेक्टर को इको फ्रेंडली बनाने का वादा किया है। भारत के कई शहरो में वायु गुणवत्ता काफी खराब है।
अपने संबोधन के निष्कर्ष में प्रधानमन्त्री ने विश्व के लिए एक आधार किया है ताकि जलवायु की सुरक्षा के प्रति विश्व अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा कर सके। उन्होंने कहा कि “बातचीत का समय खत्म हो चुका है और अब दुनिया को काम करने की जरुरत है।”